₹500
प्रस्तावना—Pgs. 9
1. भ्रष्टाचार को सतत बनाए रखने के लिए किसी भी तरह मेरी विदाई की तैयारी—Pgs. 20
2. परिवीक्षा का विवादास्पद मत—Pgs. 20
3. वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन (वा.प्र.प्र.) खराब कर उसके……—Pgs. 45
4. भ्रष्टाचार न करनेवाला शासकीय सेवा योग्य नहीं, …… —Pgs. 49
5. अपने लिए जालसाजी के जुगाड़ कर पद्मभूषण एवं परिषद् प्रायोजित पुरस्कार ठीक……—Pgs. 51
6. वार्षिक प्रगति प्रतिवेदनों पर दिए गए ……—Pgs. 52
7. वा.प्र.प्र. कार्य, ईमानदारी, गरीबी-अमीरी से नहीं, बल्कि भ्रष्ट तंत्र के सहयोग से अच्छी बनती थी—तो क्या भ्रष्टों द्वारा गलत टीप के लिए अंगुली एवं हाथ काट देना चाहिए?—Pgs. 59
8. संपूर्ण अवधि की वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन या चरित्रावली के……—Pgs. 86
9. मेरे अधीनस्थ अधिकारी, जिसके कंप्यूटर प्रिंटर, मोडम, ……—Pgs. 98
10. कंप्यूटर कक्ष, कंप्यूटर, प्रिंटर, मोडम, वी सैट, यू.पी.एस., …… —Pgs. 101
11. कंप्यूटर नेटवर्क उपकरणों के विशिष्टीकरण बनाने एवं उनकी खरीदी……—Pgs. 108
12. केंद्रीय सतर्कता आयुक्त श्री एन. विट्ठल एवं केंद्रीय ……—Pgs. 111
13. वित्तीय अनियमितताओं में संलग्न व्यक्ति चारित्रिक रूप से भी भ्रष्ट हो जाता है—Pgs. 112
14. खुद को विवादों से दूर दिखाकर, …… —Pgs. 112
15. भ्रष्टाचार निर्बाध गति से चलाए रखने हेतु मेरी हत्या या सांघातिक चोट पहुँचाने के प्रयत्नों की कुछ बानगी—Pgs. 113
16. कंप्यूटर नेटवर्क उपकरणों की गुणवत्ता पहचानने, प्रशिक्षण ……—Pgs. 114
17. कंप्यूटर नेट हेतु राशि आदि की योजना बनाते वक्त ही उसमें घपले करने की योजना बना लेना—Pgs. 123
18. मंत्री की सहमति पाकर भ्रष्टाचार करने की तीव्रता में बढ़ोतरी—Pgs. 125
19. व्यापारियों (विक्रेताओं) को संतुष्ट करने हेतु कंप्यूटर नेट में भ्रष्टाचार—Pgs. 128
20. अच्छे कंप्यूटरनेट उपकरणों की आपूर्ति करने, ……—Pgs. 131
21. कंप्यूटर नेट उपकरण के दलाल राइट्स (RITES) को —Pgs. 133
22. कंप्यूटर भ्रष्टाचार से किसी भी सीमा तक ……—Pgs. 134
23. भ्रष्टाचार छिपाने हेतु कंप्यूटर नेट की राष्ट्रीय टास्क फोर्स की बैठकों में जाने से रोकना—Pgs. 137
24. अनुसंधान परियोजनाएँ एवं कंप्यूटर नेट से लगे ……—Pgs. 138
25. चौकड़ी द्वारा भ्रष्टाचार छिपाने हेतु तकनीकी प्रमाणीकरण सेल (परिषद् मुख्यालय का कंप्यूटर केंद्र) अपने अनुरूप बनाना—Pgs. 140
26. कार्य के लिए सभी कंप्यूटर केंद्र, स्टाफ मुझसे हटाकर ……—Pgs. 144
27. गलत आपूर्ति, प्रशिक्षण की कमी, दंड न वसूलने, …… —Pgs. 149
28. भ्रष्टाचार की राशि से महानिदेशक को सेवानिवृत्त होने की…… —Pgs. 155
29. देश के सतर्कता आयुक्त से मिलकर भ्रष्टों पर कार्रवाई के प्रयत्न—Pgs. 157
30. देश के सूचना प्रौद्योगिकी के प्रतिनिधित्व हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा……—Pgs. 159
31. भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा ने भ्रष्टों को देशद्रोहियों की श्रेणी तक…… —Pgs. 161
32. प्रथम सतर्कता सप्ताह के प्रथम दिन का प्रथम पत्र, जो…… —Pgs. 168
33. बड़े पद पर रहते हुए भी छोटे पद की विभागीय पदोन्नति के आवेदन ने इज्जत रख ली—Pgs. 173
34. परिषद् के महानिदेशक को भारत सरकार का सचिव बना देने से वह निरंकुश व तानाशाह बन गया था—Pgs. 174
35. महानिदेशक एवं सचिव के पद पर जब जाट डॉ. पड़ौदा रहे ……—Pgs. 175
36. प्रताड़ना देने हेतु पदस्थ होने के 2.5 वर्ष बाद मेरे कक्ष का खराब ए.सी. ठीक कराया गया—Pgs. 178
37. वायुयान की जगह रेलवे के सामान्य द्वितीय श्रेणी (बिना आरक्षण) पर भी प्रबोधन की अनुमति नहीं—Pgs. 180
38. भ्रष्ट उप-महानिदेशक डॉ. शांतिलाल मेहता को ……—Pgs. 182
39. भ्रमण स्वीकृति में समस्या—Pgs. 187
40. अतिथि वक्ता एवं ‘की नोट’ (Key Note) या बीज भाषण प्रस्तुति की भी अनुमति नहीं—Pgs. 188
41. कंप्यूटर घपले तथा प्रताड़ना के 10-12 वर्षों के बाद ……—Pgs. 190
42. सामान्य जाँच अधिकारी—Pgs. 195
43. श्री पवन रैना द्वारा प्रस्तुत जाँच रिपोर्ट में मेरे लिए कुछ तथ्यात्मक बात एवं प्रतिक्रिया—Pgs. 198
44. परिषद् के बाहर कृषि विश्वविद्यालयों से भी नवीन कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की माँग—Pgs. 200
45. सच्चाई सामने लाने पर साम, दाम, दंड, भेद से स्थानांतरण, —Pgs. 202
46. केंद्रीयकृत खरीदी में भ्रष्टाचार की अच्छी गुंजाइश होने से विकेंद्रीकृत खरीदी का विरोध—Pgs. 204
47. सहायक महानिदेशक (स.म.) को एक तरफ कर दलाल के माध्यम से कंप्यूटर खरीदकर घपला करने की योजना को ध्वस्त किया गया—Pgs. 208
48. विषय के जनक, दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार के साथ ……—Pgs. 211
49. परिषद् का कंप्यूटर खरीदीवाला टुच्चा-सा दलाल भी भ्रष्टाचार करने हेतु मुझे आँखें दिखा रहा था—Pgs. 214
50. पत्रों का प्रभाव एवं एक उचित कार्रवाई—Pgs. 215
51. एक-एक हजार करोड़ रुपए की दोनों परियोजनाओं की ……—Pgs. 221
52. कंप्यूटर नेटवर्क को सुचारु बनाने में विशेष सहयोग—Pgs. 223
सदाचारी सिंह तोमर का जन्म 1951 में एक कृषक चरवाहा परिवार में ग्राम हुड़हा, पोस्ट ऑफिस अटररा जिला सतना (म.प्र.) में हुआ। बी.टेक. की उपाधि कृषि इंजीनियरी महाविद्यालय जबलपुर एवं एम.टेक. तथा पी-एच.डी. की उपाधि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल से प्राप्त की। मध्य प्रदेश शासन में संयुक्त संचालक कृषि (वरिष्ठ बायोगैस विशेषज्ञ) तथा म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् में परियोजना संचालन (व.सं. वैज्ञानिक) एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् में प्रधान वैज्ञानिक तथा सहायक महानिदेशक रहे। उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालय संस्थाओं में वरिष्ठ प्राध्यापक (मेकैनिक इंजीनियरी), अधिष्ठाता एवं निदेशक के रूप में काम किया। लगभग 50 पुरस्कारों के साथ इन्हें देश में सर्वोत्तम पी-एच.डी. हेतु जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार तथा सर्वोत्कृष्ट अनुसंधान हेतु भारतीय इंजीनियरी कांग्रेस में भारत के राष्ट्रपति ने ‘भारत के राष्ट्रपति का पुरस्कार’ वर्ष 1994 तथा 1991 में (दो बार) दिया। 23 पुस्तकों प्रोसिडिंग के लेखक-संपादक हैं। इनके अधीन कई छात्रों ने एम.टेक. एवं पी-एच.डी. का शोधकार्य किया। राज्य विश्वविद्यालय में प्रबंधन मंडल तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति द्वारा विजिटर नियुक्त हैं।
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दूरभाष : 09868037736