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"‘कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी' कहावत तो एक वैश्विक लोकोक्ति बन गई है, किंतु भारत, खासकर बिहार राज्य में यह कुछ अधिक ही चरितार्थ होती है। देश-विदेश से यहाँ आनेवाले लोग न केवल ज्ञान-विज्ञान की पोथियाँ लादकर ले गए, बल्कि यहाँ के आचार-विचार, पर्व-त्योहार, अतिथि-सत्कार और भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों-पकवानों के कभी न भूलनेवाले स्वाद भी सहेजकर ले गए। इस तरह यहाँ आनेवालों के दिलो-दिमाग में यहाँ की हर एक चीज बिहार की पहचान के रूप में रच-बस जाती है। उन्हीं में से कुछ ऐसी चीजें हैं, जो सर्वसाधारण के जन-जीवन से लेकर विशेष वर्ग में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं, वे हैं बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान! प्रस्तुत पुस्तक बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान की, उसी लोकप्रिय बिहारीपन के बारे में विस्तार से बात करती है।
लेखक ने 120 अध्यायों की अपनी इस पुस्तक के 57 अध्यायों में बिहार के पर्व- त्योहारों की तथा 63 अध्यायों में खानपान की जानकारी विस्तार से दी है। यह पुस्तक बिहारी तीज-त्योहार और खानपान की समृद्ध परंपरा को जानने-समझने का माध्यम तो होगी ही, बिहार के पर्यटन विकास में भी सहायक होगी।"
सुबोध कुमार नंदन
जन्म : 5 नवंबर, 1961 को पटना (बिहार) में।
शिक्षा : एम.कॉम., पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म (पटना विश्वविद्यालय)।
कृतित्व : ‘बिहार के पर्यटन स्थल और सांस्कृतिक धरोहर’, ‘बिहार के मेले’ पुस्तकें तथा 1985 से देश-विदेश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में पर्यटन, पुरातत्त्व, कला-संस्कृति, पर्व-त्योहार, मेला आदि विषयों पर शताधिक रचनाएँ प्रकाशित एवं आकाशवाणी व दूरदर्शन पटना से प्रसारित।
साक्षात्कार : भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ, डॉ. भूपेन हजारिका, पंडित किशन महाराज, डॉ. एन. राजम, पंडित शिव कुमार शर्मा, गजल सम्राट् पंकज उधास, डॉ. राजन-साजन मिश्र, डॉ. विश्वमोहन भट्ट, नलिनी-कमलिनी, पद्मश्री तीजन बाई, मकबूल फिदा हुसैन, पद्मश्री गिरजा देवी, पंडित जसराज, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, प्रेरणा श्रीमली, वडाली बंधु आदि।
पुरस्कार-सम्मान : राहुल सांकृत्यायन पर्यटन पुरस्कार, पर्यटन सम्मान (पर्यटन विभाग, बिहार सरकार)।
कार्य : वरीय कॉपी राइटर, हिंदुस्तान (पटना व भागलपुर)
संप्रति: सीनियर चीफ कॉपी राइटर, प्रभात खबर,पटना।