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बिहार में पत्रकारिता के इतिहास की कहानी इस पुस्तक में विस्तार से वर्णित है। इसमें ‘स्याह से स्याही का संघर्ष’ (इमरजेंसी के दौरान की पत्रकारिता), आनंद पटवर्धन का जेपी आंदोलन पर बना वृत्तचित्र ‘वेव्स ऑफ रिवोल्यूशन’ (क्रांति की लहरें) का विशद विवरण, ‘धनबाद पत्रकार उत्पीड़न कांड’ और ‘मुट्ठी से सरकती रेत’ (विनोदजी के साथ ‘प्रभात खबर’ की यात्रा) पहली बार प्रकाश में आ रहे हैं।
परिशिष्ट को संदर्भ की दृष्टि से समृद्ध किया गया है, जिससे आम आदमी के साथ पत्रकारों और शोधार्थियों को समझने के लिए व्यापक संदर्भ मिलें। पिछले दो दशक में मीडिया में आए बदलाव की चर्चा भी इसमें हैं और ईस्ट इंडिया कंपनी पर नई सामग्री भी है। यथासंभव जरूरी आँकड़े और सूचियाँ भी इसमें शामिल की गई हैं।
मीडियाकर्मियों के साथ-साथ पत्रकारिता के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं पत्रकारिता के इतिहास में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए एक जानकारीपरक पुस्तक।
जन्म : 15 मार्च, 1952।
शिक्षा : एस.एस.सी. (पटना वि.वि.), ‘टाइम्स’, मुंबई में पत्रकारिता का प्रशिक्षण।
कृतित्व : ‘टाइम्स’ के अलावा देश के अन्य कई प्रतिष्ठित संस्थानों में शीर्ष संपादकीय पदों पर कार्य का लंबा अनुभव। प्रिंट, ऑडियो-वीडियो और हाइपर टेक्स्ट फॉरमेट में समान दक्षता के साथ कार्य। तीन साल तक ब्रिटिश उच्चायोग, नई दिल्ली के ‘प्रेस ऐंड पब्लिक अफेयर्स’ विभाग में वरिष्ठ संपादक। ‘सेंट्रल ऑफिस ऑफ इन्फॉर्मेशन और फॉरेन ऐंड कॉमनवेल्थ ऑफिसेस’, लंदन में सूचना प्रबंधन में विशेष प्रशिक्षण। मुंबई प्रवास के दौरान सिगमा XI के सदस्य और परामनोवैज्ञानिक प्रो. माइकल मर्चेटी के साथ इस्कॉन रिसर्च बुलेटिन का संपादन। हिंदी और अंग्रेजी में विज्ञान लेखन, खासकर भविष्य विज्ञान (फ्यूचरोलॉजी) के एक समर्पित हस्ताक्षर। पत्रकारिता के अध्ययन, अध्यापन और अनुसंधान के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंध और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में विशेष रुचि।