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Bindeshwar Vibha   

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Author Dr. Rahul
Features
  • ISBN : 9789352667611
  • Language : Hindi
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More Information

  • Dr. Rahul
  • 9789352667611
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 248
  • Hard Cover

Description

यह ग्रंथ अपने उपस्थित वर्तमान के सर्वाधिक भास्वर तथा लोक-संदर्भित नायकों में एक डॉ. विन्देश्वर पाठक पर केंद्रित है। डॉ. विन्देश्वर पाठक ने सुलभ-आंदोलन के माध्यम से खुले रूप में शौच जाने की प्रथा और परंपरा को विच्छिन्न कर प्रत्येक घर में शौचालय की अनिवार्य व्यवस्था पर बल दिया है। इस अभियान में उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय धरातल पर अनेक विशिष्ट अलंकरण प्राप्त किए हैं तथा बुद्धजन द्वारा अभिनंदित हुए हैं। इस अतुलनीय उपलब्धि को डॉ. राहुल ने रेखांकित करते हुए एक अनुकरणीय दृष्टांत उपस्थित किया है।
डॉ. राहुल ने अपने प्रबंध-काव्य में समकालीन ज्वलंत सामाजिक समस्याओं को रेखांकित करते हुए, समाधान-साधक पद्मभूषण डॉ. विन्देश्वर पाठक की महनीय विशेषताओं को छंदोबद्ध किया है, जो अपनी प्रांजल शैली और अनाविल उद्देश्य में सदैव अनुपेक्षणीय सिद्ध होगा। समस्याओं के उल्लेख-क्रम में कवि ने महात्मा गांधी का स्मरण किया है। स्कैवेंजर की समस्याओं के समाधान का गांधी का सपना अधूरा था। उसे पूर्णता प्रदान करने का संकल्प डॉ. पाठक ने लिया और उनका यह प्रकल्प सफल हुआ।

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अनुक्रम

भूमिका—7

प्रख्यापन—9

1. अतीत गौरव—17

2. बचपन—25

3. शिक्षा-संस्कार—31

4. वैवाहिक बंधन—39

5. जाति-व्यवस्था—49

6. परिवर्तन की पौध—55

7. धारा बदली जीवन की—61

8. पतली माली हालत—69

9. महामना की मूर्ति—77

10. गहरी धर्म-निष्ठा—93

11. पारंपरिक जीवन-पद्धति—101

12. समाज से साहित्य तक—115

13. राष्ट्रीयता के उत्प्रेरक—125

14. राष्ट्रभाषा-प्रेम—131

15. गांधीवादी जीवन-दर्शन—137

16. दृढ़ संकल्प—145

17. रच दिया इतिहास—153

18. पंच विकारों का त्याग—157

19. विराट् व्यक्तित्व—177

20. शौचालय-निर्माण—183

21. वैश्विक विस्तार एवं सम्मान—197

22. विन्देश्वर विभा—203

23. नवयुग का सूत्रपात—209

24. सुलभ माहात्म्य—217

25. स्तुति-गान—221

The Author

Dr. Rahul

राष्ट्रवादी यशस्वी कवि-आलोचक डॉ. राहुल हिंदी-भाषा-साहित्य के अध्येता हैं। कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना पर अब तक इनकी 65 कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘महानायक-सुभाष’, ‘जंगल होता शहर’, ‘कहीं अंत नहीं’ एवं उत्तर रामकथा से संबद्ध ‘युगांक’ (प्रबंध-काव्य) बहुचर्चित हैं। ‘युगांक’ को लोकार्पित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने कहा था—‘इसमें राष्ट्रीय चेतना का प्रबल स्वर है, इससे हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक एकता भी मजबूत होती है।’

इनके अलावा ‘महाभारत’, ‘रामायण’ और ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ की मूलकथा (दो खंड), भूमिका लेखक सुप्रसिद्ध साहित्य- मनीषी एवं सांसद डॉ. कर्ण सिंह, संपादित कृतियाँ ‘20वीं सदी : हिंदी की मानक कहानियाँ’ (चार खंड) और ‘20वीं सदी : हिंदी के मानक निबंध’ (दो खंड)। आलोचनात्मक ग्रंथ प्रसाद के ‘मानक गीत’, ‘गिरिजाकुमार माथुर : काव्यदृष्टि और अभिव्यंजना’ तथा ‘शमशेर और उनकी कविता’ विशेष उल्लेखनीय हैं।

डॉ. राहुल (राममोहन श्रीवास्तव) का जन्म 2 अक्तूबर, 1952 में उत्तर प्रदेश, वाराणसी के खेवली गाँव में हुआ। हिंदी अकादमी, दिल्ली एवं देश की अन्य अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

संपर्क : साहित्य कुटीर, साइट-2/44, विकासपुरी, नई दिल्ली-110 018

मोबाइल : 09289440642

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