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टेलीस्कोप अथवा दूरबीन खगोल विज्ञान और सामान्य विज्ञान का एक आश्चर्यजनक अनुसंधान और करिश्मा रहा है तथा ‘टेलीस्कोप’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक सभ्यता से हुई, जहाँ उसे ‘टेलीस्कोपस’ के नाम से संबोधित किया जाता है जिसका अर्थ होता है—‘दूर देखना’।
टेलीस्कोप अथवा दूरबीन खगोल विज्ञान और सामान्य विज्ञान का एक आश्चर्यजनक अनुसंधान और करिश्मा रहा है तथा ‘टेलीस्कोप’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक सभ्यता से हुई, जहाँ उसे ‘टेलीस्कोपस’ के नाम से संबोधित किया जाता है जिसका अर्थ होता है—‘दूर देखना’।
आज ब्रह्मांड के प्रेक्षण में ‘टेलीस्कोप’ ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा निभा रही है। इसीलिए विशालकाय टेलीस्कोपों—एरीकिबो, रेडियो टेलीस्कोप, रतन-600, इफेल्सबर्ग, ग्रीन बैंक टेलीस्कोप, केक टेलीस्कोप इत्यादि पृथ्वी में विभिन्न स्थलों पर स्थापित की गई हैं। खगोलिकी प्रेक्षण की सुग्राहकता और प्रभावीपन को और अधिक बढ़ाने तथा प्रेक्षण विभेदन को उच्च कोटि का बनाने के उद्देश्य से अनेक टेलीस्कोपें अंतरिक्ष में भी स्थापित की गई हैं, जैसे—हब्बल अंतरिक्ष टेलीस्कोप, चंद्रा एक्स-किरण प्रेक्षणशाला, ग्लास्ट, स्पाइजर टेलीस्कोप, कोरोट इत्यादि। भविष्य में स्थापित की जानेवाली पृथ्वी स्थित प्रेक्षणशालाओं—स्क्वायर किलोमीटर ए रे (एस.के.ए.) और आउल टेलीस्कोप तथा अंतरिक्ष स्थित प्रेक्षणशाला जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और भी महान् प्रेक्षण करने वाली हैं।
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अनुक्रम
1. अंतरराष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष 2009 एवं गैलीलियो से लेकर आज तक विश्व का खगोलिकी परिदृश्य — Pgs. 15
गैलीलियो : खगोलशास्त्र का महान् व्यक्तित्व और सूत्रधार — Pgs. 17
गैलीलियो की टेलीस्कोप क्या थी और अब यह कहाँ है? — Pgs. 17
टेलीस्कोपों के क्षेत्र में बाद के परिष्करण — Pgs. 19
टेलीस्कोप क्षेत्र के कुछ अन्य महान् अधिष्ठाता — Pgs. 20
अवर्ण अपवर्तक टेलीस्कोप (एक्रोमैटिक रीफ्रैक्टिंग टेलीस्कोप) 21
विशालकाय प्रकाशिकी दूरबीनें — Pgs. 21
अन्य तरंगदैर्घ्यों की दूरबीनें — Pgs. 22
अंतरिक्ष में दूरबीन के स्थापन की आवश्यकता — Pgs. 24
गैलीलियो की प्रथम टेलीस्कोप से अब तक ब्रह्मांड की प्रेक्षण क्षमता में कितनी वृद्धि हुई? — Pgs. 25
निर्माण के दौर से गुजर रही विश्व की सबसे विशालकाय दूरबीन ‘स्क्वायर किलोमीटर एरे’ (एस.के.ए.) 26
दूरबीनों के क्षेत्र में वर्तमान में हुए महान् और उच्च कोटि के अन्वेषण — Pgs. 26
और अंत में चंद्रमा की सतह पर 100 मीटर व्यासवाली द्रव टेलीस्कोप लगाने की योजना — Pgs. 28
2. ब्रह्मांड और सौर तंत्र — Pgs. 31
ब्रह्मांड के विभिन्न मॉडल — Pgs. 32
खगोलिकी मॉडल — Pgs. 33
ब्रह्मांड का बिग बैंग मॉडल — Pgs. 34
हमारा सौर तंत्र — Pgs. 34
अंतराग्रही अंतरिक्ष — Pgs. 35
पार्थिव ग्रह — Pgs. 37
बृहस्पति ग्रह की भाँति के ग्रह — Pgs. 37
3. सौर तंत्र के अन्वेषण के विभिन्न अभियान — Pgs. 38
अपोलो (मानव-युक्त) चंद्र्र अभियान — Pgs. 47
4. अंतरिक्ष की सबसे विख्यात दूरबीन—‘हब्बल स्पेस टेलीस्कोप’ — Pgs. 58
हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की संकल्पना, डिजाइन और लक्ष्य — Pgs. 60
फंडिंग का प्रोत्साहन — Pgs. 61
निर्माण एवं इंजीनियरिंग — Pgs. 62
प्रकाशिकी टेलीस्कोप असेंबली — Pgs. 62
प्रारंभिक उपकरण — Pgs. 63
हब्बल स्पेस टेलीस्कोप का भू-सपोर्ट — Pgs. 63
स्पेस शटल चैलेंजर की दुर्घटना, विलंबन और अंततः हब्बल टेलीस्कोप का प्रमोचन — Pgs. 63
दोष-युक्त दर्पण — Pgs. 65
हब्बल स्पेस टेलीस्कोप के सर्विसिंग मिशन और स्थापित किए गए नए उपकरण — Pgs. 66
हब्बल स्पेस टेलीस्कोप के द्वारा किए गए ऐतिहासिक प्रेक्षण और खोजें — Pgs. 69
खगोलिकी विज्ञान में हब्बल टेलीस्कोप का प्रभाव — Pgs. 69
5. विद्युत् चुंबकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही अंतरिक्ष प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 70
रेडियो प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 70
माइक्रोवेव प्रेक्षणशाला — Pgs. 72
इन्फ्रारेड प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 72
दृष्टिगोचर स्पेक्ट्रम प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 74
अल्ट्रावायलेट प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 75
चरम सीमावाली अल्ट्रावायलेट प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 75
एक्स-किरण प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 76
गामा-किरण प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 76
विद्युत्-चुंबकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की व्याख्या — Pgs. 77
6. टेलीस्कोपों का विचित्र संसार और भावी जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप — Pgs. 79
नासा का ग्रेट ऑब्जर्वेटरी कार्यक्रम — Pgs. 80
भविष्य की योजना — Pgs. 81
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप — Pgs. 81
विभिन्न अवयव — Pgs. 83
पृथ्वी से दूरी — Pgs. 84
कुछ प्रमुख तथ्य — Pgs. 86
7. एरीकिबो प्रेक्षणशाला : विश्व की सबसे बड़ी सिंगल अपर्चर रेडियो टेलीस्कोप — Pgs. 88
सामान्य सूचना — Pgs. 89
डिजाइन और आर्किटेक्चर — Pgs. 90
अनुसंधान और खोजें — Pgs. 92
अन्य प्रयोग — Pgs. 93
लोकप्रिय कल्चर में एरीकिबो — Pgs. 93
8. पृथ्वी स्थित कुछ विशालतम और महानतम दूरबीनें — Pgs. 94
ग्रीन बैंक टेलीस्कोप (जी.बी.टी.) — Pgs. 94
पृथ्वी स्थित विश्व की सबसे विशाल टेलीस्कोप रतन-600 — Pgs. 96
कुछ अन्य विशालकाय रेडियो टेलीस्कोपें — Pgs. 97
डब्ल्यू.एम. केक प्रेक्षणशाला — Pgs. 98
हाबी-एबर्ली टेलीस्कोप — Pgs. 100
100 मीटर व्यास की इफेल्सबर्ग रेडियो टेलीस्कोप — Pgs. 101
9. भारत में स्थित विश्व की विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जी.एम.आर.टी.) 103
विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जी.एम.आर.टी.) की विशिष्टता — Pgs. 105
मीटर तरंगदैर्घ्य ही क्यों चुना गया? — Pgs. 105
डिजाइन की श्रेष्ठता — Pgs. 105
जी.एम.आर.टी. के एंटेना और फीड — Pgs. 106
जी.एम.आर.टी. एरे संयुक्तीकरण — Pgs. 107
10. विश्व की सबसे विशाल टेलीस्कोप—स्क्वायर किलोमीटर एरे — Pgs. 108
एस.के.ए. के लक्ष्य — Pgs. 109
‘एस.के.ए.’ टेलीस्कोप का विज्ञान — Pgs. 110
‘स्क्वायर किलोमीटर एरे’ टेलीस्कोप कैसी दिखेगी? — Pgs. 112
‘एस.के.ए.’ टेलीस्कोप किन आवृत्तियों पर कार्य करेगी? — Pgs. 113
एक विशिष्ट स्थल पर ‘एस.के.ए.’ टेलीस्कोप की स्थापन की आवश्यकता — Pgs. 113
‘एस.के.ए.’ टेलीस्कोप परियोजना में भारतीय खगोल-शास्त्रियों की विशिष्ट भूमिका — Pgs. 115
11. 100 मीटर दर्पणवाली टेलीस्कोप ‘आउल’ : उत्साही मानव के असंभव सपने का सपना — Pgs. 116
दूरबीनों का आविर्भाव — Pgs. 118
आउल टेलीस्कोप से संबंधित कुछ विशिष्ट बातें — Pgs. 118
विशालकाय टेलीस्कोपों के फायदे — Pgs. 119
आउल टेलीस्कोप अंतरिक्ष टेलीस्कोपों से कैसे स्पर्धा करेगी — Pgs. 119
आउल टेलीस्कोप का विभेदन — Pgs. 120
आउल टेलीस्कोप का ढाँचा — Pgs. 120
आउल टेलीस्कोप का ऑप्टिकल संरूपण — Pgs. 121
कुछ अन्य तकनीकी तथ्य — Pgs. 122
विश्व की कुछ अन्य विशालतम दूरबीनें — Pgs. 122
12. अंतरिक्ष इन्फ्रारेड टेलीस्कोप का अंतरिक्ष में प्रमोचन — Pgs. 123
सिर्ट्फ के वैज्ञानिक उपकरण — Pgs. 126
टेलीस्कोप — Pgs. 126
सिर्ट्फ का क्रायोजेनिक स्वरूप — Pgs. 127
पृथ्वी से सिर्ट्फ का संपर्क — Pgs. 127
उपसंहार — Pgs. 127
13. हमारे सौर तंत्र के 10 अनुत्तरित रहस्य — Pgs. 129
सूर्य का दक्षिणी धु्रव उत्तरी धु्रव से क्यों अधिक ठंडा है? — Pgs. 129
मंगल ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों (हेमीस्फीयर) में इतना अधिक मूल अंतर क्यों है? — Pgs. 130
तुंगुस्का की घटना कैसे हुई? — Pgs. 130
यूरेनस ग्रह की विचित्रता — Pgs. 131
शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन में वायुमंडल क्यों है? — Pgs. 131
सूर्य का वायुमंडल सूर्य की सतह की तुलना में क्यों अधिक गरम है? — Pgs. 132
जमे हुए (फ्रोजेन) पुच्छल तारों में भीषण तापमानों पर धूल का निर्माण कैसे होता है? — Pgs. 132
कूपियर बेल्ट अचानक कैसे समाप्त होता है? — Pgs. 133
पायनियर प्रोबें असामान्य रूप से क्यों ड्रिफ्ट हो रही हैं? — Pgs. 134
हम कैसे जान सकें कि ‘ऊर्ट क्लाइड’ का अस्तित्व है? — Pgs. 134
14. बिग बैंग संकल्पना के पितामह ज्योर्जेज हेनरी लेमैटे्र — Pgs. 134
15. यूरोपीय अंतरिक्ष संस्था की महान् टेलीस्कोप— हर्शेल अंतरिक्ष प्रेक्षणशाला — Pgs. 140
मिशन के उपकरण — Pgs. 141
विज्ञान — Pgs. 143
हर्शेल मिशन — Pgs. 143
खास बात क्या है? — Pgs. 144
अंतरिक्ष एवं दूरबीन — Pgs. 145
हर्शेल प्रेक्षणशाला की यात्रा — Pgs. 145
हर्शेल मिशन के भागीदार — Pgs. 146
हर्शेल प्रेक्षणशाला को द्वितीय लेगरैंज बिंदु पर स्थापित करने का कारण — Pgs. 146
परिशिष्ट — Pgs.
क. दूरबीनों की दो प्रमुख श्रेणियाँ—रेडियो टेलीस्कोप एवं ऑप्टिकल टेलीस्कोप रेडियो टेलीस्कोप — Pgs. 148
काम करने का सिद्धांत — Pgs. 149
रेडियो टेलीस्कोप के निष्पादन गणक — Pgs. 150
प्रकाशिकी टेलीस्कोप — Pgs. 151
इतिहास — Pgs. 151
प्रकाशिकी दूरबीनों से संबंधित कुछ अन्य बातें — Pgs. 153
ख. पृथ्वी स्थित कुछ प्रमुख और महत्त्वपूर्ण रेडियो दूरबीनें — Pgs. 154
ग. पृथ्वी स्थित कुछ प्रमुख प्रकाशिकी दूरबीनें — Pgs. 163
घ. विभिन्न देशों की अंतरिक्ष स्थित प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 166
नासा की महान् प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 167
अन्य विख्यात अंतरिक्ष प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 167
भावी अंतरिक्ष प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 169
वर्ष 2015 से 2025 की अवधि तालिका के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष संस्था की प्रस्तावित प्रेक्षणशालाएँ — Pgs. 169
अंतरिक्ष दूरबीनों की सूची — Pgs. 170
जन्म : 6 जुलाई, 1949 को मऊनाथभंजन, जनपद आजमगढ़ में।
शिक्षा : रसायन विज्ञान में एम.एस-सी., डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी।
कृतित्व : तीस वर्षों से हिंदी विज्ञान लेखन से संबद्ध। ‘प्रतिरक्षात्मक बचाव तंत्र में कमी से उत्पन्न रोग एड्स’, ‘पर्वतीय पर्यावरण में मानव जीवन’ कृतियाँ प्रकाशित। देश के विभिन्न समाचार-पत्रों तथा वैज्ञानिक पत्रिकाओं में सैकड़ों लेख प्रकाशित। आकाशवाणी दिल्ली से वार्त्ताओं का प्रसारण।
मोतीलाल नेहरू रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.ई. एवं रुड़की विश्वविद्यालय से एम.ई. की उपाधियाँ प्राप्त।
कृतित्व : अब तक अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित लगभग ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश सरकार का ‘संपूर्णानंद पुरस्कार’, राजभाषा विभाग का ‘इंदिरा गांधी पुरस्कार’ तथा इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के ‘राष्ट्रपति पुरस्कार’ से पुरस्कृत। ‘सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट’ एवं इसरो (ISRO) की ओर से ‘डिस्टिंग्विश्ड अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित। ऑल इंडिया सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी संस्था द्वारा ‘डॉ. सी.वी. रमण तकनीकी लेखन पुरस्कार’ से पुरस्कृत।
संप्रति : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वरिष्ठ संचार इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त होकर विज्ञान-लेखन में रत।