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आज से लगभग 2300 वर्ष पहले मगध पर घनानंद नामक एक कुटिल और क्रूर शासक का राज्य था। वह बात-बात पर लोगों को फाँसी दे देता था। ऐसे निरंकुश शासक ने जब चाणक्य नाम के एक विद्वान् का अपमान किया तो उसने नंद को समूल नष्ट करने का प्रण ले लिया। बालक चंद्रगुप्त भी नंद का सताया हुआ था, वह भी येन-केन-प्रकारेण नंद से प्रतिशोध लेना चाहता था।
अनायास ही चाणक्य और चंद्रगुप्त की भेंट हो गई। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को कडे़ अनुशासन में रखकर अस्त्र-शस्त्र के ज्ञान के साथ राजनीति की शिक्षा भी दी। अनुकूल अवसर मिलते ही चंद्रगुप्त ने घनानंद पर हमला कर दिया और उसका समूल नाश करके मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
मौर्य साम्राज्य पूर्व में बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में अरब सागर तक फैला था। उत्तर में चंद्रगुप्त के राज्य की सीमा दक्षिणी अफगानिस्तान और ईरान तक फैली थी। उसने वृहद् भारत पर एकच्छत्र अनुकरणीय राज्य किया।
जीवन के उत्तरार्ध में अपने पुत्र बिंदुसार को राज्य सौंपकर वह कर्नाटक में श्रवणबेलगोला चला गया और एक भिक्षुक के रूप में अपना जीवन बिताया। चंद्रगुप्त मौर्य का निर्लिप्त जीवन सचमुच अनुकरणीय है।
दिलीप कुमार लाल का जन्म 1 मार्च, 1970 को बिहार (अब झारखंड) के गाँव सरकंडा में। बाल्यकाल में ही इनके पिता त्रिपुरारी प्रसाद लाल का देहांत हो गया। विषम परिस्थितियों में माता अरुणा देवी ने पूरे परिवार का संरक्षण और इनमें संस्कार का सिंचन किया। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इन्हें बी.एस-सी. के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। विभिन्न सैक्टरों में काम करने के बाद 1999 में स्थायी रूप से पत्रकारिता से जुड़ गए। उसके बाद विभिन्न विषयों पर लेखन किया। लंबे समय तक गुजरात में हिंदी दैनिक ‘राजस्थान पत्रिका’ से जुड़े रहने से गुजराती भाषा पर अच्छी पकड़ बना ली, जिससे हैल्थ व अन्य विषयों पर इनकी गुजराती पुस्तकें प्रकाशित हुईं। सूरत में शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. केतन भरडवा की ब्रैस्ट फीडिंग पर ‘स्तनपान पूर्ण आहार’ गुजराती पुस्तक का हिंदी अनुवाद किया। हिंदी कहानी एवं कविता लिखने के साथ-साथ पर्यावरण, वन्यजीव और स्वास्थ्य चुनिंदा विषय हैं। विभिन्न एडिक्शन पर लिखने का लंबा अनुभव है।
संप्रति : ‘नवभारत टाइम्स’, दिल्ली में संपादकीय विभाग में कार्यरत एवं कई विषयों पर लेखन में रत। संपर्क
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