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Bureaucrats Aur Jharkhand   

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Author Anuj Kumar Sinha
Features
  • ISBN : 9789353225834
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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More Information

  • Anuj Kumar Sinha
  • 9789353225834
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 288
  • Hard Cover

Description

यह पुस्तक अनुभवी और जिम्मेवार पदों पर काम कर चुके अधिकारियों द्वारा लिखे गए लेखों का संकलन है। इन लेखों में अधिकांश लेख झारखंड या देश के आई.ए.एस.-आई.पी.एस. अफसरों द्वारा लिखे गए हैं। ये सारे लेख ‘प्रभात खबर’ में समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं। कोई भी राज्य तब तरक्की करता है, जब सरकार और ब्यूरोक्रेट्स अपना-अपना काम ढंग से करते हैं, दोनों में तालमेल रहता है। सरकारें नीतियाँ बनाती हैं, निर्णय लेती हैं और ब्यूरोक्रेट्स उन्हें लागू करते हैं। कई बार सत्ता-ब्यूरोक्रेट्स में तालमेल गड़बड़ाता है। आरोप-प्रत्यारोप में समय निकल जाता है। जब झारखंड के नवनिर्माण की बात आई, तो राजनीतिज्ञों (यहाँ सरकार) ने अपने तरीके से काम किया। अफसरों की अपनी सोच थी कि कैसे राज्य विकसित हो सकता है। ‘प्रभात खबर’ ने प्रयास किया था कि झारखंड कैसे विकसित होगा, विकास का मॉडल क्या होगा, इस पर अधिकारी भी खुलकर बोलें और लिखें भी। तब आई.ए.एस.-आई.पी.एस. अफसरों ने हिम्मत कर अपनी बात लेखों के माध्यम से रखी थी। लेख लिखनेवालों में ब्यूरोक्रेट रह चुके तब के राज्यपाल प्रभात कुमार और वेद मारवाह भी थे। ये महत्त्वपूर्ण दस्तावेज हैं, जो झारखंड को समझने में सहायक साबित होंगे। इनमें कई ऐसे अफसरों के लेख या इंटरव्यू हैं, जो बाद में झारखंड के मुख्य सचिव या डी.जी.पी. भी बने। इन लेखों का मकसद एक था—सिस्टम को और अच्छा करके झारखंड को आगे ले जाना। यह सिर्फ लेख नहीं, भविष्य का रोडमैप भी था, इसलिए ये लेख भविष्य में योजना बनाते समय भी बहुत काम आएँगे।

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अनुक्रम

अपनी बात —Pgs.5

1. झारखंड का विकास —प्रभात कुमार —Pgs.15

2. आबुआ कामिको, आबुआ ते चलाओ —प्रभात कुमार —Pgs.20

3. जहाँ प्रशासन विफल है, वहीं उग्रवाद है —वेद प्रकाश मारवाह —Pgs.25

4. गुड गवर्नेंस की स्थापना के लिए दृढ राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी —वेद प्रकाश मारवाह —Pgs.29

5. झारखंड में ब्यूरोक्रेसी डिमोरलाइज की गई —वी.एस. दुबे —Pgs.32

6. संकीर्णमना झारखंड सरकार —वी.एस. दुबे —Pgs.41

7. दूध की धुली नहीं है ब्यूरोक्रेसी —वी.एस. दुबे —Pgs.47

8. नौकरशाही में देशज संस्कृति-संवेदना का अभाव है —सुभाष शर्मा —Pgs.55

9. अनुत्पादक कार्यों को बाय-बाय करे सरकार —डी.के. तिवारी —Pgs.60

10. प्रशासनिक मॉडल बने झारखंड —आई.सी. कुमार —Pgs.68

11. जरूरत झारखंडियों का सपना बचाने की —एस.के. चाँद —Pgs.75

12. झारखंड में शिक्षा —मृदुला सिन्हा —Pgs.81

13. संचिकाओं में उलझी सरकार —जे.बी. तुबिद —Pgs.84

14. भारत बनाम इंडिया : विकास का वैकल्पिक मॉडल —वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी —Pgs.91

15. सफर अभी लंबा है झारखंड का —शिवेंदु —Pgs.95

16. अगर मैं झारखंड का प्रथम मुख्यमंत्री होता! —गुमनाम नौकरशाह —Pgs.100

17. गवर्नेंस की सारी संस्थाएँ ध्वस्त होने के कगार पर —राधा सिंह —Pgs.104

18. ब्यूरोक्रेसी को प्रोफेशनल बनाना होगा —श्याम शरण —Pgs.110

19. राजनीतिक दलों के एजेंडे पर नहीं सुशासन का मुद्दा —मुचकुंद दुबे —Pgs.113

20. क्या है इ-गवर्नेंस?  —आर.एस. शर्मा —Pgs.117

21. झारखंड नवनिर्माण : विकल्प, विकास और सुनहरा अवसर —एस.के. चाँद —Pgs.127

22. शिक्षा, सड़क, पानी, बिजली से आएगी खुशहाली —यशवंत सिन्हा —Pgs.133

23. ब्यूरोक्रेसी व राजनेता लोकतंत्र के स्तंभ —राम उपदेश सिंह —Pgs.139

24. विचार के धन की लूट में सब साझीदार —जियालाल आर्य —Pgs.143

25. प्रशासन में स्थानीय संवेदना जरूरी —जी. कृष्णन —Pgs.146

26. सत्ता और भत्ता मोह से बाधित विकास —आई.सी. कुमार —Pgs.148

27. दृढ संकल्प और मजबूत नेतृत्व चाहिए —आर.ई.वी. कुजूर —Pgs.151

28. ब्यूरोक्रेसी, व्यूह रचना और मार्केटमैनिया —वाई.बी. प्रसाद —Pgs.155

29. तार-तार होती बिहार की नौकरशाही —राम उपदेश सिंह —Pgs.163

30. स्वाधिकार का गढ़ बनता प्रजातांत्रिक प्रतिनिधित्व —कमला प्रसाद —Pgs.172

31. बोर्ड को अपनी पॉकेट संस्था बनाना चाहते थे मंत्री —राजीव रंजन —Pgs.174

32. रोड शो करने, हाथ जोड़ने से इंडस्ट्रियलिस्ट नहीं आएँगे, उन्हें चाहिए... —संतोष सतपथी —Pgs.182

33. उग्रवाद पर काबू के लिए विकास को प्राथमिकता जरूरी —राजीव रंजन प्रसाद —Pgs.190

34. सुशासन की पहली शर्त है जनता के प्रति निष्ठा —वरिष्ठ आई.ए.एस. 197

35. अगर पॉलिटिकल विल-पावर हो तो कार्यसंस्कृति सुधर सकती है —संतोष सतपथी —Pgs.205

36. हर खेत में होगी हरियाली —सुधीर त्रिपाठी —Pgs.211

37. देर भले हुई, लेकिन झारखंड बेहतर स्थिति में होगा —आर.एस. शर्मा —Pgs.219

38. बरगद से हार्वर्ड तक —अशोक कुमार सिंह —Pgs.229

39. इनलाइटेंड नेतृत्व से ही गुड गवर्नेंस संभव —टी. नंदकुमार —Pgs.245

40. समस्या क्रियान्वयन की है —अरुण कुमार सिंह —Pgs.251

41. नो कमेंट्स —विमल कीर्ति सिंह —Pgs.257

42. राजनीतिक एजेंडा से नक्सलवाद का सफाया हो सकता है —जी.एस. रथ —Pgs.267

43. विकास के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूरी —वी.डी. राम —Pgs.275

The Author

Anuj Kumar Sinha

झारखंड के चाईबासा में जन्म। लगभग 35 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। आरंभिक शिक्षा हजारीबाग के हिंदू हाई स्कूल से। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से गणित (ऑनर्स) में स्नातक। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की। जेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्स.आइ.एस.एस.) राँची से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। 1987 में राँची प्रभात खबर में उप-संपादक के रूप में योगदान। 1995 में जमशेदपुर से प्रभात खबर के प्रकाशन आरंभ होने पर पहले स्थानीय संपादक बने। 15 साल तक लगातार जमशेदपुर में प्रभात खबर में स्थानीय संपादक रहने का अनुभव। 2010 में वरिष्ठ संपादक (झारखंड) के पद पर राँची में योगदान। वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यकारी संपादक के पद पर कार्यरत। स्कूल के दिनों से ही देश की विभिन्न विज्ञान पत्रिकाओं में लेखों का प्रकाशन। झारखंड आंदोलन या फिर झारखंड क्षेत्र से जुड़े मुद्दे और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन लेखन के प्रमुख विषय। कई पुस्तकें प्रकाशित। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकें—‘प्रभात खबर : प्रयोग की कहानी’, ‘झारखंड आंदोलन का दस्तावेज : शोषण, संघर्ष और शहादत’, ‘बरगद बाबा का दर्द’, ‘अनसंग हीरोज ऑफ झारखंड’, ‘झारखंड : राजनीति और हालात’, ‘महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा’ एवं ‘झारखंड के आदिवासी : पहचान का संकट’।
पुरस्कार : शंकर नियोगी पुरस्कार, झारखंड रत्न, सारस्वत हीरक सम्मान, हौसाआइ बंडू आठवले पुरस्कार आदि।

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