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व्यापार में बाधाएँ व रुकावटें तो आती ही हैं। इनसे डरना नहीं, बल्कि इनका स्वागत करना चाहिए, क्योंकि इन्हीं से हमारी वास्तविक क्षमता की परीक्षा होती है। इसलिए इन्हें बुराई में अच्छाई मानना चाहिए। रुकावटें कई तरह की हो सकती हैं, जैसे आर्थिक, कानूनी, उत्पाद संबंधी, टैक्स संबंधी, कर्मचारी और प्रबंधन से संबंधित। हर समस्या का हल है, हमें बस उसे खोजना होता है।
अंत में, हमें इस कहावत को ध्यान में रखना होगा, ‘सिर सलामत तो पगड़ी पचास’ अर्थात् हम जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं, वह इसी भौतिक शरीर के द्वारा संभव है। अतः हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सदा सचेत रहना चाहिए, जैसे यदि किसी प्रोजेक्ट में गिरावट आती है तो नुकसान बढ़ता है, मुनाफा घट जाता है, ऐसा ही हमारे स्वास्थ्य के साथ होता है। अतः अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखकर व्यापारी लंबी पारी खेल सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक शासकों, सरकारी अधिकारियों, समाज और अन्य लोगों को व्यापार व व्यापारियों के संबंध में एक सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करेगी, क्योंकि इस पुस्तक में विशेष रूप से कहा गया है कि व्यापारी देश की संपत्ति के सर्जक हैं, अर्थात् वे राष्ट्रीय संपदा के निर्माणकर्ता हैं।
लेखक के लंबे अनुभव से जनित यह पुस्तक नए उद्यमियों और बिजनेसमैन को पूँजी का सही निवेश और उपयोग करने का व्यावहारिक मार्ग बताती है और सफलता प्राप्त करने के गुरुमंत्र भी।
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अनुक्रम
प्रस्तावना — Pgs. 7
भूमिका — Pgs. 9
आभार — Pgs. 17
1 बिन पैसे व्यापार/उद्योग — Pgs. 21
2 जो है, उसी से शुरुआत करें — Pgs. 35
3 ऐतिहासिक जड़ें — Pgs. 43
4 काम की शुरुआत — Pgs. 49
5 व्यापार की स्थापना — Pgs. 56
6 दौड़ में बाधाएँ — Pgs. 69
7 योजना और कार्यान्वयन — Pgs. 77
8 रिश्ते — Pgs. 85
9 ब्रांडिंग — Pgs. 95
10 नियम व कानून — Pgs. 105
11 सामाजिक दायित्व — Pgs. 113
12 आपदा रोकथाम — Pgs. 122
13 तनावमुक्त जीवन — Pgs. 127
14 बजट, योजना और तरक्की — Pgs. 136
15 मार्केटिंग — Pgs. 144
16 विज्ञापन — Pgs. 149
17 नेता — Pgs. 153
18 पीछे हटने से पहले — Pgs. 159
शानदार विचार तो है, लेकिन पैसे नहीं हैं? इसे रुकावट न बनने दें! — Pgs. 167
डॉ. सुरेश हावरे एक प्रेरक और प्रभावशाली व्यवसायी हैं, जिन्हें अपने संगठनात्मक और प्रशासनिक कौशल के लिए जाना जाता है। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में बी.एससी. टेक. की डिग्री प्राप्त की। फिर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से न्यूलियर इंजीनियरिंग में स्नातकोार की शिक्षा पूरी की। तदुपरांत इतिहास में एम.ए. किया और हाल ही में मुंबई यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त की है। नागपुर यूनिवर्सिटी के एक मेरिट स्कॉलर तथा इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल जीतनेवाले डॉ. सुरेश ने 27 वर्षों तक परमाणु ऊर्जा विभाग में सीनियर न्यूलियर साइंटिस्ट के रूप में कार्य किया। न्यूलियर इंजीनियरिंग विषय पर 37 शोधपत्र लिखे, जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल का वियना के आईएईए में नेतृत्व किया। अब वे बेहद लोकप्रिय ‘हावरे ग्रुप ऑफ कंपनीज’ के संचालक और लीडर हैं। उन्होंने अनेक लोक कल्याणकारी कार्यों की शुरुआत की है। कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय बिजनेस अवॉर्ड प्राप्त कर चुके डॉ. हावरे जेएनपीटी के ट्रस्टी रहे और वर्तमान में श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी के अध्यक्ष हैं। हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र्र सरकार ने ‘राज्यमंत्री’ पद का दर्जा दिया है।