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कैंसर रोग से ग्रस्त होने की पहली जानकारी जिस समय किसी स्त्री/पुरुष को मिलती है, उसके लिए उस दिन को भुला पाना संभव नहीं होता। लगभग हर किसी के लिए यह जीवन को बदल देनेवाला क्षण होता है।
प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. मीनू वालिया की यह पुस्तक जीवन में वापसी करने और पहले की ही तरह आपको आपके पैरों पर फिर से खड़ा करने में किसी मार्गदर्शक की तरह सहायता करने की क्षमता रखती है। लेखिका कहती हैं, ‘‘मैं ऐसे कई लोगों से मिल चुकी हूँ, उन्हें रोग का पता चलने के दिन रोते देखा है, पर इसके साथ ही इलाज पूरा होने पर उनके खुशी के आँसू भी देखे हैं। यह हिचकोले खाती उन भावनाओं की एक अभिव्यक्ति है, जिनकी मैं गवाह रह चुकी हूँ और उन मरीजों से अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस किया है। हम सब अपनी गलतियों से सीखते हैं, लेकिन बुद्धिमान वही होते हैं, जो दूसरों की गलतियों से सबक लेते हैं। यह पुस्तक इलाज के दौरान पैदा होनेवाली भ्रांतियों, भय, सामाजिक लांछन को दूर करने का एक विनम्र प्रयास है। साथ ही, यह भी बताती है कि अंततः परिस्थितियों से कैसे मुकाबला करें और एक विजेता बन जाएँ।’’
कैंसर के भयावह रोग से ग्रस्त होने के बावजूद उसके उपचार के दौरान ‘करणीय-अकरणीय’ (dos & dont’s) बतानेवाली एक व्यावहारिक पुस्तक। यह आपको संबल देगी, आपको इस विपत्तिकाल से पार निकलने में सक्षम बनाएगी।
डॉ. मीनू वालिया, जिन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में 21 वर्षों से अधिक समय बिताया है, वर्तमान में मैक्स सेंटर, पटपड़गंज, दिल्ली में कैंसर चिकित्सा और रुधिर विज्ञान विभाग से जुड़ी हैं। भारत की पहली डीएनबी मेडिकल ऑनकोलॉजिस्ट होने के कारण डॉ. मीनू वालिया सभी प्रकार के ठोस और रक्त संबंधी कैंसर, स्तन, स्त्री रोग और जठरांत्र संबंधी कैंसर में विशिष्ट जानकारी रखती हैं। उन्होंने कैंसर विज्ञान पर अनेक अध्यायों को लिखा है, साथ ही राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी उनके कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं। रोग की जानकारी होने, इलाज के दौरान और स्वस्थ होने में मरीजों की मदद के लिए वे विभिन्न सहयोग समूहों तथा गैर-सरकारी संगठनों से भी जुड़ी हैं। वे मरीजों को परामर्श देने के साथ ही अपने अच्छे कार्यों को जारी रखने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
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