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"2020 के अंत में गोवा में अपनी पोस्टिंग को तैयारी करते समय पुलिस अधिकारी निधिन वल्सन को एक रहस्यमय, कष्टदायी दर्द ने जकड़ लिया, जिसने जीवन को बदल देने वाली घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू कर दी। महीनों असहनीय पीड़ा झेलने और कई चिकित्सा परामर्शों के बाद एक ययाक्रांत निदान निकला : स्टेज-4 नॉन हॉजकिन लिंफोमा।
इस आत्मिक व्यक्तिगत संस्मरण में वल्सन ने रोग के सही निदान की तलाश करने की कठिन परीक्षा से लेकर अपने गृह राज्य केरल में भीषण कीमोथेरैपी सत्रों तक तथा पुनर्वास के दौरान अपने महत्त्वपूर्ण निर्णयों के बारे में बताया है: दुनिया की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक, आयरनमैन ट्रायथलॉन में प्रतिस्पर्धा करना। बीमारी के फिर से उभरने के डर और व्यक्तिगत बाधाओं के बावजूद वह कठोर प्रशिक्षण से गुजरे, निदान के एक साल के भीतर गोवा में दौड़ में भाग लिया; सभी बाधाओं को पार किया और अंततः एक आयरनमैन बनने की अपनी संकल्प-शक्ति का प्रदर्शन किया।
'कैंसरमैन टु आयरनमैन', एथलेटिक विजय की कहानी से कहीं अधिक है। यह पुस्तक दृढ़ इच्छाशक्ति और जिजीविषा का एक व्यावहारिक उदाहरण है, जिसमें निधिन वल्सन ने संघर्ष करके न केवल स्वयं को नीरोग किया वरन् अपने कर्तृत्व से कैंसर से जूझ रहे अनेक रोगियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया। यह पुस्तक इस संघर्ष-यात्रा में उनके शारीरिक-मानसिक अवसाद को दूर करने में उनके परिजनों, परिचितों और सहयोगियों की प्रशंसनीय भूमिका से भी परिचित करवाती है।
युवराज सिंह क्रिकेकटर द्वारा अनुवाद