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‘‘नमस्ते गोस्वामीजी! सुना है, आप रिटायर हो गए हैं?’’ शंकरन ने पूछा।
‘‘हाँ। सोच रहा हूँ, घर जाने से पहले जरा बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर लूँ। आज वहीं जा रहा हूँ।’’
‘‘मैं भी मुगलसराय तक जा रहा हूँ। 11 अप में ड्यूटी लगी है। चलिए, मुगलसराय तक आपका साथ दूँगा।’’ शंकरन ने कहा।
गोस्वामी आगे बढ़े। तभी शंकरन ने पीछे से आवाज लगाई, ‘‘उधर कहाँ जा रहे हैं? गाड़ी तो आ चली।’’
‘‘आ रहा हूँ, पहले टिकट तो ले लूँ।’’
‘‘अरे साहब, आप भी कमाल करते हैं। अब तो रिटायर हो गए हैं, आज तो आदर-सत्कार का मौका दीजिए। मैं चल रहा हूँ, वहाँ तक पहुँचा दूँगा।’’
—इसी संग्रह से
मानवीय संबंधों और समाज के विविध रंगों की आभा-छटा समेटे पठनीय कहानियों का संकलन, जो पाठक के मर्म को स्पर्श करेंगी और स्पंदित भी।
जन्म : 01 जनवरी, 1954।
शिक्षा : विज्ञान तथा विधि के स्नातक।
प्रकाशन : देश के प्रमुख प्रकाशन संस्थानों यथा टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, दिल्ली प्रेस प्रकाशन आदि द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियाँ एवं आलेख प्रसारित।
पुरस्कार : भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा ‘समग्र न्याय-व्यवस्था में स्थान एवं भूमिका’ पुस्तक पर राष्ट्रीय स्तर का पं. गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार।
संपर्क : फ्लैट सं. 404, विशाल गंगा अपार्टमेंट, पश्चिम बोरिंग कैनाल रोड, लक्ष्मी नर्सिंग होम के निकट, आनंदपुरी (देवी स्थान), पटना-800001