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यह पुस्तक ""चालीसा संग्रह"" भगवान के विभिन्न रूपों की महिमा को अद्वितीयता से बयां करने वाली एक अद्भुत संग्रह है। यह सामान्य हिंदी में लिखा गया है, ताकि इसे सभी आयुवर्गों के पाठकों को समझने में आसानी हो। पुस्तक में श्री गणेश, श्री दुर्गा, श्री हनुमान, श्री शिव, श्री कृष्ण, श्री राम, श्री सरस्वती, श्री लक्ष्मी, श्री संतोषी माता, श्री गायत्री, श्री शनि, श्री गंगा आदि की चालीसा शामिल हैं। इन चालीसाओं के माध्यम से पाठक भगवान की आराधना में समर्पित हो सकते हैं और उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा पा सकते हैं। ""चालीसा संग्रह"" के अलावा, पुस्तक में मंगल कामना, आरती श्री मंगलाचरण, आरती श्री गणेश जी की, आरती श्री जगदीश जी की, आरती श्री रामचन्द्र जी, आरती श्री शिव जी की, आरती श्री कुञ्ज बिहारीजी की, श्री हनुमान जी की आरती, आरती श्री सरस्वती जी, आरती श्री लक्ष्मी जी की, आरती श्री दुर्गा जी की, आरती श्री गंगा जी, आरती श्री संतोषी माता, आरती श्री काली जी, आरती श्री वैष्णो जी, आरती श्री शनि देव जी, आरती श्री श्याम खाटू जी, आरती श्री गायत्री जी, श्री राम-स्तुति और आरती श्री रामायण जी भी शामिल हैं। इस पुस्तक का उद्दीपन भगवान की भक्ति में नई ऊर्जा और उत्साह भरा हुआ है। यह संग्रह आपको धार्मिकता की ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए एक सहायक होगा और आपके आत्मा को शांति, शक्ति, और प्रेरणा प्रदान करेगा। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक भगवान के साथ अपना संबंध मजबूती से बना सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं।
मध्यम परिवार में जनमे राम किशोर छात्र जीवन से ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस, शहीदे आजम भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, क्रांतिवीर चंद्रशेखर ‘आजाद’ इत्यादि क्रांतिकारियों के जीवन और विचारों से प्रभावित रहे। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान वे आचार्य नरेंद्र देव, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ राम मनोहर लोहिया, एसएम जोशी, मधु लिमये, मधु दंडवते, सुरेंद्र मोहन जैसे समाजवादी नेताओं-चिंतकों के संपर्क में आए और उनके साथ संघर्षों में भाग लिया।
उनकी अब तक नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं—‘पोटा—एक काला कानून’, ‘इनकलाब जिंदाबाद’, ‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस’, ‘सोशलिस्ट चिंतक विचारक श्री मधु लिमये’, ‘धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता’, ‘जब्तशुदा कहानियाँ’, ‘फाँसी के तख्ते से’, ‘प्रेरक प्रसंग’, ‘डॉ राही मासूम रजा की कहानियाँ’। देश के विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में अब तक 200 से अधिक लेख प्रकाशित।
संप्रति : डॉ राही मासूम रजा साहित्य अकादमी के महामंत्री तथा सोशलिस्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष।