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Champaran Mein Mahatma Gandhi   

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Author Rajendra Prasad
Features
  • ISBN : 9788173158780
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Rajendra Prasad
  • 9788173158780
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2018
  • 384
  • Hard Cover

Description

जिस समय यह पुस्तक लिखी गई थी, उस समय और आज में बहुत अंतर है, और यदि आज यह पुस्तक लिखी जाती तो संभवतः इसका रूप कुछ दूसरा ही होता; पर मैंने यह समझा कि यदि यह जैसी लिखी गई थी, उसी प्रकार पाठकों की सेवा में उपस्थित की जाय तो आज के आंदोलन के बीजमंत्र को वह देख सकेंगे और जो उस समय केवल एक बीज मात्र था, उसको लहलहाते पेड़ के रूप में आज पाएँगे।

—राजेंद्र प्रसाद

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विषय सूची

लेखकीय वतव्य — 5

निवेदन — 9

1. चंपारन — 29

2. चंपारन का इतिहास — 32

3. नील — 35

4. रैयतों के कष्ट — 39

5. 1907-1909 — 49

6. शरहबेशी, तावान, हुंडा, हरजा इत्यादि — 66

7. गवर्नमेंट की काररवाई — 82

8. अबवाब — 101

9. सर्वे बंदोबस्त — 108

10. महात्मा गांधी का आगमन — 111

11. भारतवर्ष में खलबली — 150

12. बेतिया में महात्मा गांधी — 155

13. माननीय मि. मौड से भेंट — 174

14. नीलवरों की घबराहट — 185

15. महात्मा गांधी की बुलाहट — 214

16. जाँच-कमेटी की नियुति — 225

17. जाँच-कमेटी की बैठक — 238

18. जाँच-कमेटी की रिपोर्ट — 263

19. नीलवरों में खलबली — 266

20. चंपारन एग्रेरियन ऐट — 276

21. स्वयंसेवकों की सेवा — 280

परिशिष्ट 1 — 298

परिशिष्ट 2 — 305

परिशिष्ट 3 — 314

परिशिष्ट 4 — 327

परिशिष्ट 5 — 331

The Author

Rajendra Prasad

गांधी युग के अग्रणी नेता देशरत्‍न राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सारण जिला के ग्राम जीरादेई में हुआ। आरंभिक शिक्षा जिला स्कूल छपरा तथा उच्च शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज कलकत्ता में। अत्यंत मेधावी एवं कुशाग्र-बुद्ध छात्र, एंट्रेंस से बी.ए. तक की परीक्षाओं में विश्‍वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्‍त, एम.एल. की परीक्षा में पुन: प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्‍त। 1911 में वकालत प्रारंभ, पहले कलकत्ता और फिर पटना में प्रैक्टिस।
छात्र-जीवन से ही सार्वजनिक एवं लोक-हित के कार्यों में गहरी दिलचस्पी। बिहारी छात्र सम्मेलन के संस्थापक। 1917-18 में गांधीजी के नेतृत्व में गोरों द्वारा सताए चंपारण के किसानों के लिए कार्य। 1920 में वकालत त्याग असहयोग आंदोलन में शा‌मिल। संपूर्ण जीवन राष्‍ट्र को समर्पित, कांग्रेस संगठन तथा स्वतंत्रता संग्राम के अग्रवर्ती नेता। तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष, अंतरिम सरकार में खाद्य एवं कृषी मंत्री, संविधान सभा अध्यक्ष के रूप में संविधान-निमार्ण में अहम भूमका। 1950 से 1962 तक भारतीय गणराज्य के राष्‍ट्रपति। प्रखर चिंतक, विचारक तथा उच्च कोटि के लेखक एवं वक्‍ता। देश-विदेश में अनेक उपाधियों से सम्मानित, 13 मई, 1962 को ‘भारत-रत्‍न’ से अलंकृत।
सेवा-निवृत्ति के बाद पूर्व कर्मभूमि सदाकत आश्रम, पटना में निवास। जीवन के अंतिम समय तक देश एवं लोक-सेवा के पावन व्रत में तल्लीन।
स्मृतिशेष : 28 फरवरी, 1963।

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