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चाणक्य की नीतियों में राजनीति, अर्थशास्त्र, धर्म और नैतिक मूल्य सबकुछ समाहित है। वे शासक को सही सलाह देनेवाले सच्चे राष्ट्रभक्त थे, उनके लिए मातृभूमि सर्वोपरि थी। वे कुशल नीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री और समर्पित राष्ट्राभिमानी थे उनकी सलाह और कथन सारगर्भित होते थे, जो समाज-कल्याण और राष्ट्रोत्थान का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को अपने चिंतन के दायरे में रखा और सबके लिए यथोचित आदर्श आचरण एवं व्यवहार का एक खाका प्रस्तुत किया ।शासक, व्यापारी, कर्मचारी, महिलाएँ, धर्मभिक्षु-सब उनकी दृष्टि में थे।
चाणक्य के विशद ज्ञान के इस विराट् पुंज को संकलित करने का एक विनम्र प्रयास है यह पुस्तक, जिसमें उनके विभिन्न श्लोकों का अर्थ उचित उदाहरणों के माध्यम से आसान भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है।
आचार्य चाणक्य (अनुमानतः ईसापूर्व 375-ईसापूर्व 283) चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान् ग्रंथ है।'कौटिल्य अर्थशास्त्र' मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। विष्णुपुराण, भागवत आदि पुराणों तथा कथासरित्सागर आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथों में भी उनकी कथा बराबर मिलती है। बुद्धघोष की बनाई हुई विनयपिटक की टीका तथा महानाम स्थविर रचित महावंश की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया हुआ है। चाणक्य के शिष्य कामंदक ने अपने नीतिसार' नामक ग्रंथ में लिखा है कि विष्णुगुप्त चाणक्य ने अपने बुद्धिबल से अर्थशास्त्र रूपी महोदधि को मथकर नीतिशास्त्र रूपी अमृत निकाला। प्रकारांतर में विद्वानों ने चाणक्य के नीति ग्रंथों से घटा-बढ़ाकर वृद्धचाणक्य, लघुचाणक्य, बोधिचाणक्य आदि कई नीतिग्रंथ संकलित कर लिये। 'विष्णुगुप्त सिद्धांत' नामक उनका एक ज्योतिष का ग्रंथ भी मिलता है। कहते हैं, आयुर्वेद पर भी उनका लिखा' वैद्यजीवन' नामक एक ग्रंथ है।
बकुल बख्शी का जन्म 1941 में हुआ। वह गुजराती के प्रसिद्ध लेखक और स्तंभकार हैं। उन्होंने अलग-अलग विषयों पर गुजराती में 25 पुस्तकें लिखी हैं। उनकी लघुकथाओं के दो संकलनों को गुजराती साहित्य अकादमी पुरस्कार से समादृत किया गया। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने भारतीय राजस्व अधिकारी (कस्टम्स ऐंड सेंट्रल एक्साइज) के पद पर नौकरी प्रारंभ की और चीफ कमिश्नर ऑफ कस्टम्स और डायरेक्टर जनरल (सर्विस टैक्स) के पद से सेवा मुक्त हुए। देश को अपनी बेहतरीन सेवाएँ प्रदान करने के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी अलंकृत किया गया। वर्तमान में वे अहमदाबाद में रहते हैं और पूरी तरह से लेखन में संलग्न हैं। उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपते हैं।