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"चट्टानों के बीच तरल' पुलिसकर्मियों के मन में उपजी कविताओं का संकलन है। इस पुस्तक के पन्नों से गुज़रते हुए आप सुखद आश्चर्य से गुज़रेंगे कि चट्टान की तरह अपने फ़र्ज़ पर खड़ी रहने वाली ख़ाकी के मन में कितना कुछ कोमल और संवेदनशील भी बहता रहता है। इस पुस्तक में संकलित राज्य पुलिस, सीआरपीएफ़, पीएसी और बीएसएफ के जवानों और अधिकारियों की कविताओं को पढ़कर स्वतः ही इस बात पर भरोसा हो जाता है कि पुलिस विभाग में वाकई कितना उच्चस्तरीय और शुद्ध साहित्य रचा जा रहा है।
'चट्टानों के बीच तरल' समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिन-रात एक कर देने वाले पुलिस विभाग को एक विनम्र धन्यवाद और प्रणाम है।"