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समाज की वर्तमान अवस्था और हिंदी शिक्षण के व्यापक संदर्भों को दृष्टिगत रखते हुए भारतीय विद्यालयों तथा हिंदी शिक्षण संस्थानों ने निबंध विषय को पाठ्यक्रमों में प्रमुखता दी है। इस कारण विद्यार्थियों की कठिनाइयाँ बढ़ती जा रही हैं, जिनका समाधान प्रस्तुत करती है यह कृति छात्रोपयोगी निबंध।
पुस्तक में ‘उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद्’ और ‘केंद्रीय शिक्षा परिषद्’ के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए निबंधों का समावेश किया गया है। इसमें विगत कई दशकों से पूछे जा रहे निबंधों तथा संभावित निबंधों को स्थान दिया गया है, जिनका अध्ययन कर विद्यार्थी किसी भी विषय पर निबंध-लेखन में पारंगत हो सकता है।
लेखक ने संबंधित निबंधों की विषय-वस्तु को समझते हुए इस कृति का प्रणयन किया है, ताकि छात्र इस उपयोगी पुस्तक में दिए गए सभी निबंधों का अध्ययन कर उनसे लाभ उठा सकें।
जन्म : मिरीगिरी टोला, बाँसडीह, बलिया (उ.प्र.)।
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिंदी-अंग्रेजी, प्राचीन इतिहास) एवं पी-एच.डी.।
कृतित्व : साहित्य की समस्त विधाओं—विश्व ज्ञान कोश, कोश, व्याकरण, निबंध, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, समसामयिक, प्रतियोगितात्मक, मीडिया, बाल-प्रौढ़-नवसाक्षर साहित्य पर अब तक 850 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : तीस राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार-सम्मानों से समादृत।
संप्रति : निदेशक—पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान, इलाहाबाद।
संपर्क : 110/2, नई बस्ती, अलोपी बाग, इलाहाबाद-211006