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Chikitsa Vyavastha Par Vyangya   

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Author Giriraj Sharan
Features
  • ISBN : 9788173151484
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Giriraj Sharan
  • 9788173151484
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 148
  • Hard Cover

Description

अस्पताल हो और वह भी सरकारी तो उसका अपना अलग ही आनंद है । बस, शर्त यह है कि आपमें इस अद‍्भुत पर्यटन- स्थल में आनंद लेने की क्षमता अवश्य हो । ' क्षमता ' शब्द यहाँ हमारे विचार में अधिक उपयुक्‍त नहीं है, अंग्रेजी का ' स्टेमना ' अधिक उपयुक्‍त, सटीक एवं सार्थक है । वह जो किसी शायर ने कहा था-' सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ ' तो उसका संकेत निश्‍च‌ित रूप से अस्पताल की ओर ही था और सैर से उसका मतलब भ्रमण नहीं था, जनरल वार्ड की शय्या से ही था । तो शायर कहना चाहता था कि यदि आपने किसी अस्पताल के जनरल वार्ड में दो - चार दिन रहकर दुनिया की सैर नहीं की है तो समझ लीजिए, आपने कुछ नहीं किया । जिस प्रकार डॉक्टरों में विविध रोग विशेषज्ञ होते हैं ठीक उसी प्रकार मरीजों में भी अस्पताल विशेषज्ञ होते हैं । वे जानते हैं कि अस्पताल तक जाने, डॉक्टर तक पहुँचने तथा इलाज करवाने की सबसे बढ़िया विधि क्या है? इसलिए हमारी सलाह है कि आप जब भी बीमार हों, इन सिद्धहस्थ अस्पताल विशेषज्ञों की सेवाएँ अवश्य प्राप्‍त करें ।
हम सोचने लगे हैं कि अस्पतालों के गुण- अवगुण की जाँच अवश्य होनी चाहिए, सो हमने आज कुछ अस्पताल विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है, ताकि हम और आप उनके अनुभवों का लाभ उठा सकें और जान सकें कि सुनी-सुनाई और अनुभव की हुई में क्या अंतर होता है ।
चिकित्सा जगत् की विसंगतियों का पर्दाफाश करते ये व्यंग्य आपको भोगे यथार्थ का परिचय कराएँगे और तब आप इनकी धार से घायल होने का मात्र अभिनय नहीं कर पाएँगे ।

The Author

Giriraj Sharan

जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्‍ट‌ि से प्रकाशित उनके विशिष्‍ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्‍त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।

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