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चिड़िया उड़' कल्पना की कहानी है। पूरी दास्ताँ है उस लड़की की, जिसकी तेरह साल की उम्र में उसकी दादी के दबाव में गाँव के किसी लड़के के साथ शादी कर दी जाती है। विवाह शब्द को सही से समझ भी नहीं पानेवाली कल्पना की बाकी की बारह साल की जिंदगी तेज बहाव में बह रही डोंगी की तरह होती है, जहाँ उसके पास इकलौता सहारा उसकी पढ़ने की जबरदस्त इच्छा का होता है। वह समझ जाती है कि पढ़ाई ही एक ऐसा हथियार है, जिसके बलबूते पर वह अपनी बंधुआ जिंदगी से निजात पा सकती है। तमाम उतार-चढ़ाव के बीच कल्पना पढ़ाई पूरी करती है। आततायी ससुराल और पति के साथ रहते हुए, उनसे निबटते हुए। अवमानना के कड़वे बोलों का पूँट पीते हुए वह अपना आत्मसम्मान तलाशती है और फिर एक दिन बोझिल हुए तमाम रिश्तों को तिलांजलि देकर ‘स्व’ की तलाश में विश्व-भ्रमण पर निकल पड़ती है। | इस किताब का नाम ‘चिड़िया उड़' है।उत्तर भारत के लोकगीतों में ‘चिड़िया अकसर बेटी के लिए कहा जाता है और बेटियाँ महज परकटी चिड़िया बनकर रह जातीं हैं, पर इस उपन्यास की नायिका कल्पना उड़ती है।पंख फैलाकर उसी तरह से जैसे वह बचपन में ‘चिड़िया उड़’ खेल खेलते हुए अपने ख्वाबों में उड़ती थी।
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अनुक्रम
कुछ अनकही —Pgs. 7
1. कल्पना-कथा —Pgs. 11
2. शुक्रिया करम —Pgs. 13
3. मेरे घर आई एक नन्ही परी —Pgs. 18
4. किसी शादी में जाएँ —Pgs. 22
5. पापा कहते हैं, बिटिया बड़ा नाम करेगी —Pgs. 26
6. बैंड बाजा-बारात —Pgs. 30
7. बन्नो रानी, तुम्हें सयानी होना ही होगा... —Pgs. 35
8. दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा —Pgs. 41
9. बादल पर पाँव है... —Pgs.45
10. पहला नशा, पहला खुमार —Pgs. 51
11. छन्न से जो टूटे कोई सपना —Pgs. 59
12. अभी मुझमें कहीं बाकी थोड़ी सी जिंदगी —Pgs. 65
13. मेहँदी है रचनेवाली... 71
14. बाबुल की दुआएँ लेती जा... 79
15. ससुराल गेंदा फूल? —Pgs. 84
16. मम्मा... —Pgs. 92
17. पैसा-पैसा करते हैं... —Pgs. 95
18. पढ़ोगी-लिखोगी बनोगी खराब... —Pgs. 101
19. आली रे...साली रे... —Pgs. 111
20. सफरनामा... —Pgs. 119
21. आशाएँ... —Pgs. 126
22. यह हौसला कैसे झुके —Pgs. 132
23. सपनों से भरे नैना... —Pgs. 139
24. साँस अलबेली—कौन सी डोर खींचे कौन सी काटे रे... —Pgs. 146
25. बेटियाँ जो ब्याही जाएँ... मुड़ के न देखो दिलबरो —Pgs. 153
26. हमसफर था कि... —Pgs. 164
27. जिंदगी न मिलेगी दोबारा —Pgs. 174
28. लाइफ का मेकअप कर लिया, ब्रेकअप कर लिया —Pgs. 182
29. ओ रे पिया... —Pgs. 190
30. उड़ी... —Pgs. 198
पूनम दुबे की पैदाइश मुंबई में हुई और वहीं से उन्होंने अपनी एम.बी.ए. की पढ़ाई भी पूरी की। पेशे से पूनम मार्केट रिसर्चर हैं। बहुराष्ट्रीय रिसर्च फर्म नील्सन में सेवा के पश्चात फिलहाल इस्तांबुल (टर्की) में रह रही हैं और जिंदगी के नए मायने तलाश रही हैं। उनमें हमेशा से मानवीय रिश्तों और व्यवहार को बारीकी से देखने और समझने का कौतूहल रहा। बतौर मार्केट रिसर्चर दुनिया को देखना, परखना, जानकारियाँ इकट्ठा करना और फिर उन्हें अपने शब्दों में ढाल देना, उनके पेशे का हिस्सा रहा है और अब उनकी कहानियों का यूनिक सेलिंग पॉइंट भी। घूमना, पढ़ना और लिखना उनका पैशन है। अब तक वह चार महाद्वीपों के बीस से भी ज्यादा देशों में यात्रा कर चुकी हैं।' चिड़िया उड' उनका पहला उपन्यास है, जो वास्तविक जीवन से प्रेरित है।