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यह पुस्तक भारत की मौजूदा चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है, जो सबसे अधिक वोट पाने वाले विजेता (फर्स्ट पास्ट द पोस्ट अथवा एफपीटीपी) की व्यवस्था पर आधारित है। एफपीटीपी व्यवस्था के तहत चुनाव होने के कारण भारत में जनप्रतिनिधि अल्पसंख्यक यानी कम मत पाकर भी चुन लिये जाते हैं, जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के बुनियादी गुण के विरुद्ध है। इसके अलावा अधिकतर राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारें अल्पसंख्यक अथवा अल्पमत वाली सरकारें रही हैं और भारत के बहुसंख्यक मतदाताओं की इच्छा का पूरी तरह प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। इस पुस्तक में पिछले चुनावों के आँकड़ों का विश्लेषण करते हुए भारत में प्रचलित एफपीटीपी व्यवस्था की कमियों को उजागर किया गया है।
बेहतर लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आवश्यक एवं व्यावहारिक चुनाव सुधारों का विश्लेषण करती खोजपूर्ण पुस्तक!
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अनुक्रम
प्राक्कथन — Pgs. 15
आभार — Pgs. 17
विषय प्रवेश : एक न्यायपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था की ओर — Pgs. 21
1. हमारे प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व करने की वैधता : ‘फर्स्ट पास्ट
द पोस्ट’ प्रणाली पर॒पुनर्विचार — Pgs. 25
2. हमारे प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व की वैधता : ‘रन ऑफ प्रणाली’
के पक्ष में — Pgs. 46
3. मतदाताओं की सहभागिता में वृद्धि — Pgs. 58
4. राजनीतिक दलों का पंजीकरण करने/रद्द करने का चुनाव आयोग
का अधिकार — Pgs. 73
5. आंतरिक दलीय लोकतंत्र : चुनाव सुधारों के लिए आवश्यक — Pgs. 89
6. राजनीतिक दलों की धन की व्यवस्था — Pgs. 95
7. राजनीतिक दलों की फंडिंग और ऑडिटिंग — Pgs. 100
8. चुनाव सुधार : आगे का रास्ता — Pgs. 117
परिशिष्ट-अ
नई दिल्ली में 21 अप्रैल, 2012 को ‘भारत में चुनाव सुधार :
संवाद और विकल्प’ विषय पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी की कार्रवाई — Pgs. 126
परिशिष्ट-आ
नई दिल्ली में 15 जून, 2013 को ‘लोक प्राधिकरण (पब्लिक अथॉरिटी)
हैं : राजनीतिक पार्टियाँ’ विषय पर हुए संवाद-सत्र की कार्रवाई — Pgs. 172
मनोज अग्रवाल पेशे से व्यवसायी हैं, लेकिन लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। इन्होंने बंगलौर विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। पिछले कई वर्षों से ‘पीपल फॉर नेशन’ नाम की संस्था बनाकर चुनाव सुधार के विषय पर काम कर रहे हैं। सुशासन और राजनीति में व्यवस्थागत बदलाव में इनकी विशेष रुचि है। इन विषयों पर इनके लेख कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। मनोज अग्रवाल राम सुमरनी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी भी हैं। यह ट्रस्ट चैरिटेबल क्लीनिक, कंप्यूटर सेंटर और गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप देने का काम करता है।