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भारतीय कवि और साहित्यकार प्रारम्भ से ही राष्ट्रीयता की पवित्र भावना को अपने काव्य औैर चिंतन का विषय बनाते रहे हैं, जब-जब भी आवश्यकता हुई है, कवियों ने वीरों की शिराओं में बहते रक्त की गति को तीव्र करने के लिए ओज और वीरता के गीत गाए हैं ताकि शत्रु की ललकार को अपने लिए चुनौती मानकर वे राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा में अपना सर्वस्व होम कर दें।
—इसी पुस्तक से