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यह पुस्तक बच्चों को विभिन्न मनोरंजनात्मक कहानियों के माध्यम से मनोबल और उत्साह देने के लिए डिज़ाइन की गई है।
इस पुस्तक में विभिन्न शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं जो बच्चों के चरित्र निर्माण और मानवीय मूल्यों को समझाने में मदद करती हैं।
कहानियों में समाजिक और नैतिक संदेश हैं जो बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर को समझाते हैं।
यह पुस्तक बच्चों को हिंसा, असमानता, और न्याय के महत्व को समझाने में मदद करती है।
कहानियों के माध्यम से बच्चों को सामाजिक जागरूकता, उच्च मोरल और नैतिक मूल्यों के प्रति समझदार बनाने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक के माध्यम से बच्चे अपनी भाषा कौशल, अच्छे आचरण, और सही निर्णय लेने की कला को सीख सकते हैं।
यह पुस्तक बच्चों के मनोबल को बढ़ाने और सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त है।
इस पुस्तक का पाठन बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ उनके अध्ययन और बुद्धिमत्ता को भी बढ़ावा देगा।
इस पुस्तक में शामिल की गई कहानियाँ बच्चों को स्वतंत्रता, सामाजिक जिम्मेदारी, और नैतिक उत्तरदायित्व के महत्व को समझाती हैं।
यह पुस्तक बच्चों को उत्कृष्टता की दिशा में मार्गदर्शन करती है और उन्हें समृद्ध और सफल जीवन के लिए प्रेरित करती है।
जन्म : 1 दिसंबर, 1949 को अटवा अली मर्दनपुर, हरदोई (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), बी.एड., पी-एच.डी.।
वृत्ति अध्यापन एवं लेखन।
कृतियाँ : बाल काव्य : ‘आओ गाएँ, धूम मचाएँ’, ‘आओ बच्चो, गाओ बच्चो’, ‘नन्ही गजलें’, ‘आओ गाएँ गीत रसीले’, ‘मोनू के गीत’, ‘भारत माँ के राज दुलारे’, ‘धूप गुनगुनी हमें बुलाए’, ‘हँसते-मुसकाते सपने’, ‘गीत माला’ आदि। बालकथा : ‘काफिले का सूरज’, ‘स्वप्नलोक’, ‘बच्चों की वापसी’, ‘सोनू की उड़ान’, ‘भूत से टक्कर’, ‘सुनो कहानी गुनो कहानी’, ‘बड़ों की बातें’, ‘कोयल की सीख’ आदि।
संपादित : ‘नन्ही कविताएँ’, ‘चुने हुए बाल गीत’, ‘चुने हुए बाल एकांकी’, ‘सौ श्रेष्ठ बाल कहानियाँ’।
विशेष पाठ्य पुस्तकों में रचनाएँ संकलित। आपके बाल साहित्य पर आगरा विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम.फिल. स्तर के शोधकार्य संपन्न; संयोजन—पं. भूप नारायण दीक्षित बाल साहित्य सम्मान।
पुरस्कार : बाल साहित्य के लिए ‘श्रीमती शकुंतला सिरोठिया पुरस्कार’ से लेकर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के ‘सूर पुरस्कार’ तक अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत व सम्मानित।