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आचार्य चाणक्य कूटनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक महान् शिक्षक भी थे। उन्होंने चंद्रगुप्त को अपने शैक्षिक निर्देशन में साधारण से असाधारण बना दिया और सत्ता के सबसे शीर्ष सिहासन तक पहुँचा दिया, इसी प्रकार, चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ‘चाणक्य नीति’ में विद्यार्थियों के लिए भी अपना निजी उच्च और अनुभूत शैक्षिक दर्शन व्यक्त किया है। उनके शैक्षिक दर्शन को जीवन में उतारकर एक साधारण विद्यार्थी थी भी असाधारण उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।