‘कोविड रामायण’ माधव जोशी का अभिनव प्रयोग है। यह एक फ्यूजन है अतीत का वर्तमान के साथ, कलम का ब्रश के साथ और रेखाओं का शब्दों के साथ। आप चमत्कृत होंगे; चौंक जाएँगे कि कोविड का रामायण से क्या संबंध? कोविड मानवीय इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। जब किसी को इस समस्या से निपटने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था तब माधव जोशी ने सोचा वर्तमान को सुधारने के लिए अतीत से ही सबक लेना होगा क्योंकि अतीत के अनुभव पर वर्तमान जिन सपनों को गढ़ता है, वही हमारा भविष्य होता है। इस बिंबविधान के साथ माधव जोशी ने यह नई रामकथा गढ़ी है। इस कथा के जरिए माधव भूत और वर्तमान के समन्वय से ही भविष्य के खतरे का रास्ता ढूँढ़ते हैं। माधव रेखाओं के जादूगर हैं और शब्दों के अद्भुत शिल्पी। कार्टूनिस्ट थोड़े शब्दों में बड़ी बात कहता है। इस लिहाज से यह कोविड रामायण ‘देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर’ है। इसमें अनेक रंगों की परिकल्पना, ब्रश का संयोजन और शब्दों का शिल्प साथ-साथ चले और प्रसूत हुए हैं। ऐसी है यह बेजोड़ रचना ‘कोविड रामायण’। माधव जोशी ने रामकथा के जरिए कोविड त्रासदी के मर्म को समझाया है। कोरोना धूर्त है, बहुरूपिया है, रावण की तरह अपना रूप बदलता है। इनसे निपटने के लिए माधव जोशी के पास कोदंड राम हैं, जो कोविड के खिलाफ जंग के प्रतीक हैं। राम एक हैं, पर हमारी दृष्टि अलग-अलग। गांधी के राम अलग हैं, लोहिया के राम अलग। वाल्मीकि और तुलसी के राम में भी फर्क है।कंबन के राम अलग और कृतिवास के अलग। भवभूति के राम दोनों से अलग हैं। कबीर ने राम को जाना था तो तुलसी ने माना। भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यवत्ता और संयम का नाम है राम। माधव जोशी रामायण को महज एक ग्रंथ नहीं आचरण संहिता मानते हैं। उस आचरण संहिता से ही लेखक कोविड से लड़ने की न सिर्फ ताकत पाता है बल्कि आम लोगों के आत्मबल का औजार भी बनता है। कथा, चित्र और प्रस्तुतीकरण मनोहर है। आप भी आनंद लें।
—हेमंत शर्मा
Madhav Joshi
माधव जोशी
मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी जबलपुर में जन्म। आरंभिक शिक्षा जबलपुर के बाद भोपाल में। कक्षा पहली में ही वाक्पटुता के कारण अधिवक्ता का तमगा। बचपन से ही रेखाओं से ऐसा प्यार हुआ कि नाना स्व. रामचंद्र रघुनाथ करंदीकर को गुरु मानकर कलायात्रा की शुरुआत की। ‘नई दुनिया’ में होली पर पहला कार्टून प्रकाशित होने के बाद से अब तक इन्हीं रेखाओं पर जीवनयापन। लगभग पैंतीस साल से देश के कई प्रमुख समाचार-पत्रों में ले-आउट, ग्राफिक्स, इलस्ट्रेशन और कार्टून पर नए प्रयोग। बदलाव के लिए कुछ साल न्यूज चैनल की ओर भी रुख किया। देश के विभिन्न शहरों में कार्टून्स व पेंटिंग्स की कई प्रदर्शनियाँ। लेखन की बीमारी भाई-बहनों व मित्रों को पत्र लेखन से जो लगन लगी तो आज तक जारी। समाचार-पत्रों में विभिन्न लेखों के माध्यम से यह और फली-फूली। अब तक तीन किताबें प्रकाशित। रेखाओं से प्रेम के अलावा शहर की तंग गलियों, पुराने बाजारों, सब्जी मंडियों में घूमना व रेल से यात्रा करना पसंद। सिनेमा, शास्त्रीय संगीत व कंटेंपे्ररी वर्क में गहरी रुचि। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए कार्य। दैनिक जागरण में नियमित एडिटोरियल कार्टून।
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