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क्रिकेट एक गतिशील खेल है। यह रोचकता एवं रोमांचकता से परिपूर्ण है। क्रिकेट की अनिश्चितता और इसके उतार-चढ़ाव ही तो इसमें थिरकन और स्पंदन उत्पन्न कर दर्शकों को सुखद आनंद प्रदान करते हैं। कभी खिलाड़ियों के आश्चर्यजनक असाधारण प्रदर्शन से तो कभी उनके नाटकीय व अद्वितीय कारनामों से रोचकता व रोमांचकता बढ़ती ही जाती है।
वैसे तो आँकड़ों और क्रिकेट में चोली-दामन का रिश्ता है, आँकड़े खिलाड़ियों की योग्यता को संक्षेप में प्रदर्शित कर पाते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में क्रिकेटरों द्वारा अन्य खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करना, क्रिकेटर का युद्धबंदी होना, क्रिकेटरों का युद्ध में मारा जाना, विचित्र ढंग से आउट होना, कप्तानों द्वारा संयुक्त रूप से जन्मदिन का केक काटा जाना, टेस्ट मैच में पूरे पाँच दिनों तक बल्लेबाजी करना, देश एवं खिलाड़ी द्वारा पहले ही मैच में शतक लगाना, मैच की पहली गेंद पर बल्लेबाज का आउट होना, टेस्ट मैच में दोनों पारियों में ‘कॉट एंड बोल्ड’ होना और इसी तरह के अनेक रोचक तथ्य शामिल हैं। कुछ तथ्य, जो थोड़े रूखे-सूखे लग सकते हैं, उन्हें भी मजेदार किस्सों के द्वारा रोचक बनाया गया है।
रोचक खेल क्रिकेट की रोचक व रोमांचक घटनाओं और घटनाक्रमों का अद्भुत संकलन।
खेल-प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देनेवाली जादुई आवाज और दूरदर्शन के परदे पर मुसकराता गंभीर चेहरा क्रिकेट उद्घोषक रवि चतुर्वेदी की पहचान बन चुका है। स्वतंत्र खेल पत्रकार और क्रिकेट की दुनिया में ‘पंडितजी’ के रूप में सुपरिचित श्री चतुर्वेदी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आपकी करीब एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं।
वर्तमान में आप एक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं। आपकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय, चेकोस्लोवाक विज्ञान अकादमी और विंडसर विश्वविद्यालय, ओंटेरियो, कनाडा में हुई है। खेलों के प्रति आपका लगाव बचपन से ही रहा है। विश्वविद्यालय स्तर के छात्र जीवन तक आप लगातार क्रिकेट खेलते रहे हैं।
आपकी पहली पुस्तक ‘वेस्ट इंडीज-इंडिया टेस्ट क्रिकेट’ सन् 1976 में प्रकाशित हुई थी। सन् 1962 से लगातार कमेंट्री करते हुए आप अब तक 100 से अधिक टेस्ट मैचों और 152 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों का प्रसारण कर चुके हैं।
सन् 1994 में ‘वर्ल्डटेल’ ने आपको अंतरराष्ट्रीय उद्घोषक की टीम में सम्मिलित किया। सन् 1996 में सिंगापुर, शारजाह, वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड में ‘स्टार स्पोर्ट्स’ की कमेंट्री टीम में सक्रिय रहे। सन् 1999 में भारत-न्यू जीलैंड श्रृंखला के लिए टी.डब्ल्यू.आई. की कमेंट्री टीम में भी थे। आप हिंदी के ऐसे उत्कृष्ट उद्घोषक हैं, जिन्हें खेल के मर्म और बारीकियों की गहरी समझ है।