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Dalit Sahitya : Nai Chunautiyan   

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Author Ramshankar Katheria
Features
  • ISBN : 9789351865810
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Ramshankar Katheria
  • 9789351865810
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 144
  • Hard Cover

Description

वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में, जब इतिहास के अंत की घोषणा की जा रही है, स्मृतियों के ध्वस का नारा उछाला जा रहा है, सामाजिक सरोकारों का विकेंद्रीकरण हो रहा है—ऐसे में यदि दलित साहित्य सीमित और संकीर्ण होता जाएगा, तो वह बाबा साहब भीमराव के आदर्शों के एकदम विपरीत होगा।
बाबा भीमराव साहित्य को तरक्की का आधार मानते थे, वहीं साहित्यकारों का महत्त्व भी उनकी दृष्टि में सम्मानजनक था। आज दलित साहित्य जिस प्रकार अपनी समस्याओं और स्वार्थों तक सीमित हो गया है, उससे बाबा साहब कदापि सहमत नहीं हो सकते थे। वे न केवल दलितों को, अपितु दलित साहित्य को संपूर्ण विश्व के दलितों और शोषितों से जोड़ना चाहते थे।
इस दृष्टि से दलित साहित्य को न केवल अपनी सर्जनात्मक क्षमता को वैश्विक स्तर पर सिद्ध करना होगा, बल्कि संपूर्ण दलित एवं शोषित समाज को दूसरे दलित एवं शोषितों को नवजागरण के लिए प्रेरित करना होगा। प्रस्तुत पुस्तक इसी प्रयास की शृंखला में एक कड़ी है, जो दलित साहित्य में पेश आनेवाली चुनौतियों एवं कठिनाइयों का दिग्दर्शन कराती है।

 

The Author

Ramshankar Katheria

इटावा के ग्राम-नगरिया, पोस्ट- सरावा में 21 सितंबर, 1964 को जन्म। एम.ए., पी-एच.डी.। आगरा विश्व-विद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर, जहाँ वे दलित चेतना विषय का अध्यापन करते रहे। 13 वर्ष तक विश्व के सबसे बडे़ सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। अनेक पुस्तकों के लेखक डॉ. कठेरिया सर्वप्रथम 2009 में, फिर 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए।
संप्रति : मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार।
संपर्क : office.mpagra@gmail.com

 

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