₹200
‘दंश’ एक ऐसी नारी की कथा है, जो राजवंश में होनेवाले नारी शोषण का सजीव चित्रण प्रस्तुत करती हैँ दलित तथा निम्न वर्ग की महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों का प्रशंसनीय चित्रण तो कई औपन्यासिक कृतियों में किया गया है, किंतु आज भी उच्च और कुलीन वर्गों की इन महिलाओं को शारीरिक व मानसिक यातना के किस दौर से गुजरना पड़ता है, यह सच्चाई कम ही लोग जानते हैं।
इसी सच्चाई को परत-दर-परत खोलती है यह औपन्यासिक कृति—‘दंश’।
जन्म : 2 फरवरी, 1962 को सीतापुर में।
शिक्षा : एम.ए. (आधुनिक भारतीय इतिहास), बी.एड., एल-एल.बी.।
कार्यक्षेत्र : आकाशवाणी मथुरा एवं लखनऊ केंद्र से समय-समय पर स्वरचित लघु कहानियों का प्रसारण। दूरदर्शन लखनऊ पर कविताओं का प्रसारण।
प्रकाशन : कहानी-संग्रह ‘जेवर’ तथा उपन्यास ‘दंश’ प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ, कहानियाँ एवं लेख प्रकाशित। धारावाहिक ‘चाहत अपनी-अपनी’ का पटकथा-लेखन।
पुरस्कार-सम्मान : भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा ‘पं. प्रताप नारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान’ (कथा साहित्य के क्षेत्र में)।