₹200
डर के आगे जीत है-गौरव कृष्ण बंसलहर व्यक्ति जीतना चाहता है—छात्र जीवन में परीक्षाओं में प्रथम स्थान पाना, नौकरी-व्यवसाय में बेहतर अवसर पाना, किसी भी स्पर्धा में विजयी होना—यानी हर समय केवल अधिक सफल होना ही मानव स्वभाव है।
पर इस जीत को पाने के लिए किन चुनौतियों का कब कैसे मुकाबला किया जाए, यह समझना आसान नहीं है। सबसे जरूरी है अपने विवेक को जाग्रत् रखकर धैर्य, लगन और आत्मविश्वास से कार्य किए जाएँ। एक बार हारने पर आत्मविश्वास के साथ पुनः उठ खड़ा होना ही जीत की ओर एक बड़ा कदम है। घोड़े से गिरकर घोड़े पर फिर चढ़कर अपनी मंजिल पर पहुँचना ही श्रेयस्कर है।
यह पुस्तक उस जीत को पाने के मूल मंत्र बताती है। इसमें कुछ महान् हस्तियों अब्राहिम लिंकन, स्टीफन हॉकिंग, लाल बहादुर शास्त्री और थॉमस अल्वा एडिसन आदि की जीवनी द्वारा यह बताने की चेष्टा की गई है कि तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने पक्के इरादे और अथक प्रयास द्वारा दुनिया में वह स्थान हासिल किया, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है और हमेशा याद किया जाएगा।
प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने स्वयं के अनुभव से सूत्रों द्वारा जीत और उसके लिए जरूरी जुनून को बताने का सफल प्रयास किया है।
गौरव कृष्ण बंसल विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं। भारतीय रेलवे में प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं। वह एक कवि, गायक, कलाकार, संगीतज्ञ और खिलाड़ी हैं। इसके अलावा वह एक कुशल वक्ता तथा प्रेरक व्यक्ति और लेखक हैं। उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हैं—‘बिटर स्वीट्स’ (अंग्रेजी) कहानियों की पुस्तक है और उर्दू में ‘सब कुछ’ कविताओं का संग्रह है। वह शायद अकेले ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने तीन भाषाओं—हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी—में लिखा है। उन्होंने ऐसी विविध शैलियों का इस्तेमाल किया है, जैसे हास्य-व्यंग्य, सामाजिक पहलू और प्रेरणादायक पुस्तकें—दोनों ही गद्य और पद्य में। उन्हें ‘लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन’ और ‘टाइम्स ग्रुप’ द्वारा ‘परसन विद लीडरशिप पोटेंशियल फॉर द नेशन’ के रूप में चुना गया। उन्हें कई सामाजिक संस्थानों द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। वह एक योग्य शिक्षक हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए छात्रों को प्रेरित किया है।