₹200
प्रत्यक्ष की अनुभूति करने का एक प्रयास है ‘दर्शन’। समाज में युवाओं के उलझी और बेमानी जीवन शैली में अध्यात्म के सहारे जीवन में सरलता लाने का एक आह्वान है। ईश्वर के सतरंगी रूप को हमारे दैनिक कार्यों में देखती रचनाएँ प्रेम और समर्पण को अर्पित हैं, जो भावों को शैलीविशेष में न बाँधकर नवीनता के साथ भक्ति की सुगंध बिखेरती हैं और यही इस संग्रह की विशिष्टता है।
__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम | |
1. दर्शन — 11 | 35. प्रगति — 62 |
2. हरे राम हरे कृष्ण — 13 | 36. देख न सका — 65 |
3. प्रेम — 15 | 37. परिभाषा — 67 |
4. शून्य — 16 | 38. मेरा स्वप्न — 68 |
5. सपने में बसता है सपना — 17 | 39. कैद — 69 |
6. साँसों की आरी — 19 | 40. भ्रम — 70 |
7. ईश्वर की तुम परछाईं हो — 20 | 41. कच्ची सड़क — 71 |
8. तुम आई मेरे जीवन में — 22 | 42. एक गरीब चाह — 72 |
9. तेरा चुंबन — 23 | 43. क्या खोया, क्या पाया हूँ — 73 |
10. श्याम, मोहे श्याम रंग में रँग दे — 24 | 44. एक बूँद टपका दो दिल पर — 74 |
11. बरगद का पेड़ — 25 | 45. विश्वास — 75 |
12. वो पहली किरन — 27 | 46. देवी — 76 |
13. सब माया है — 28 | 47. इस दीवाली — 77 |
14. प्यार की बरसात — 29 | 48. होली — 79 |
15. तुम आए — 30 | 49. खुलकर खेलूँ होली — 80 |
16. यादों के झरने — 31 | 50. कँवल की होली — 81 |
17. तेरी खुशबू — 32 | 51. आज होली में — 82 |
18. तेरी आभा — 33 | 52. जीवन का टुकड़ा — 83 |
19. मैं खुश हूँ — 34 | 53. अंतर्मन की आवाज — 84 |
20. घंटी बजती है — 36 | 54. लोहे की पुकार — 85 |
21. अब हम बड़े हो गए हैं — 38 | 55. जीवन है निर्झर — 86 |
22. तू गाय है — 40 | 56. बड़ा होकर मैं क्या बनूँगा — 88 |
23. आओ जी लें हम — 42 | 57. मन, तू क्या है? — 90 |
24. वो मजबूत धागा ढूँढ़ता हूँ मैं — 43 | 58. नई सुबह — 92 |
25. नमन करते हैं — 44 | 59. उजाला — 94 |
26. बातें करता हूँ — 45 | 60. दर्द पराए होते हैं — 95 |
27. सोचो — 46 | 61. मुहब्बत — 96 |
28. ठंड रख! माँ कहती थी — 47 | 62. चाहत — 97 |
29. आज फिर माँ की याद आई है — 49 | 63. मेरी दीवानगी — 98 |
30. चलो आज फिर मिलकर एक नवीन देश बनाते हैं — 51 | 64. जुगनुओं को पहरा देना है — 99 |
31. आज फिर हर जवान को देश का आह्वान है — 53 | 65. ये नयन — 100 |
32. आजादी — 57 | 66. कई बार — 101 |
33. आक्रोश — 59 | 67. बेकसूर — 102 |
34. दर्पण — 60 |
देश की सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता में पले-बढ़े उत्तम टेकड़ीवाल पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर, 1966 को एक मध्यवर्गी संयुक्त परिवार में हुआ। चित्रकारी और शिल्पकला उनकी अन्य रुचियाँ हैं।
संपर्क : हरिधाम अपार्टमेंट, 35 ढाकुरिया स्टेशन रोड, कलकत्ता-700031
दूरभाष : 91-033-24830543
इ-मेल :
uttam.tekriwal@gmail.com