Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Dawamukt Chikitsa   

₹250

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Muni Kishan Lal ji
Features
  • ISBN : 9789351865001
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Muni Kishan Lal ji
  • 9789351865001
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2015
  • 176
  • Hard Cover

Description

स्वास्थ्य मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। स्वस्थ व्यक्ति ही अपने जीवन को व्यवस्थित रख सकता है। प्रत्येक व्यक्ति की स्वस्थ रहने की इच्छा होती है। इसके लिए पुरुषार्थ करने तथा प्रयोग करते रहने की नितांत आवश्यकता होती है। वर्तमान के इस व्यस्त जीवन में स्वस्थ व्यक्ति ही सफलता की मंजिल प्रा?त कर सकता है। व्यक्ति के लिए स्वस्थ रहने के लिए ध्यान, साधना, आसन एवं प्राणायाम करना आवश्यक होता है। इनके माध्यम से व्रत अपने जीवन में गुणात्मक परिवर्तन कर सकता है। व्यक्ति अपने जीवन में उत्साह, उल्लास, प्रसन्नता तथा आनंद की अनुभूति कर सकता है। मुद्रा हमारे मनोभावों को विकसित करती है। इसके लिए श्वास के सही प्रयोग का प्रशिक्षण प्रा?त करना आवश्यक है। इसके द्वारा ही जीवन में सकारात्मक चिंतन का विकास किया जा सकता है। यह चिंतन मानव जीवन की सफलता तथा सार्थकता के लिए परमावश्यक होता है। स्वास्थ्य-प्रेम पाठकों के लिए पठनीय एवं बेहद उपयोगी पुस्तक।

_____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

आशीर्वचन  — Pgs. 5

स्वकथ्य — Pgs. 7

1. रहस्य अध्यात्म-चिकित्सा का — Pgs. 13

2. शारीरिक दुर्बलता और प्रेक्षा चिकित्सा — Pgs. 18

3. श्वास रोग और पे्रक्षा चिकित्सा  — Pgs. 31

4. मधुमेह और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 51

5. कमर दर्द और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 69

6. वायु-विकार और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 81

7. उच्च रक्तचाप और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 90

8. निम्न रक्तचाप और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 96

9. हृदय दौर्बल्य और पे्रक्षा चिकित्सा  — Pgs. 103

10. कब्ज और पे्रक्षा चिकित्सा  — Pgs. 115

11. अम्लता और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 128

12. हस्तमुद्राएँ और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 137

13. यौगिक क्रियाएँ और पे्रक्षा चिकित्सा — Pgs. 150

14. मूल्यांकन अध्यात्म चिकित्सा का — Pgs. 169

The Author

Muni Kishan Lal ji

जन्म : 3 नवंबर, 1936 राजस्थान के बीकानेर जिले के मोमासर कस्बे में।
सोलह वर्ष की किशोरावस्था में आचार्य तुलसी के कर-कमलों से मोमासर में दीक्षा ली। देश के विभिन्न अंचलों से गुजरकर उन्होंने योग, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान का प्रशिक्षण लाखों व्यक्तियों, अध्यापकों और विद्यार्थियों को दिया है। इनकी निष्काम और अहर्निश सेवा-भावना से प्रसन्न होकर अणुव्रत अनुशास्ता तुलसी ने इनका मूल्यांकन करते हुए प्रेक्षा प्राध्यापक का अलंकरण प्रदान किया। आचार्य महामण ने ‘शासना’ से समानित किया।
जीवन निर्माण एवं स्वस्थ जीवन शैली के प्रयोगों से परिपूर्ण जीवन विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकों का कक्षा 1 से 12 तक का निर्माण किया। बी.ए. की पुस्तकों के निर्माण में भी इनका अपूर्व योगदान रहा।  प्रेक्षाध्यान जीवन विज्ञान योग के प्रशिक्षकों  का निर्माण किया। आज जीवन निर्माण में अहर्निश लगे हुए हैं।
कृतियाँ : ‘योग से बदलें जीवन शैली’, ‘स्वास्थ्य के लिए योग’, ‘साधना प्रयोग और परिणाम’, ‘प्रज्ञा की प्रक्रिया’, ‘प्रेक्षाध्यान, आसन प्राणायाम’, ‘यौगिक क्रियाएँ’। इनके अलावा नशा-मुक्ति, तनाव-मुक्ति के क्षेत्र में इनका अभिनव योगदान है। 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW