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प्रस्तुत ग्रंथ में दीक्षा के विविध स्वरूपों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। वैदिक दीक्षा के साथ-साथ तांत्रिक दीक्षा की प्राचीन परंपराएँ अध्ययन के लिए प्रस्तुत की गई हैं, इनका परस्पर संबंध भी विचार का विषय रहा है। यद्यपि वैदिक परंपरा और तांत्रिक परंपरा दोनों एक-दूसरे की विरोधी मानी जाती हैं, परंतु दोनों परंपराओं के गंभीरतापूर्वक विश्लेषण से ज्ञात होता है कि न केवल दोनों का मूल एक है अपितु आचार-व्यवहार से भी उनमें निकटता है।
इसमें मध्यकालीन संत-परंपरा में प्रचलित दीक्षा-विधियों के अध्ययन के साथ-साथ यह लक्ष्य किया गया है कि इन समस्त दीक्षा विधियों के सिद्धांत और व्यवहार परस्पर गुँथे हुए हैं। मध्यकालीन संत परंपराओं में संत कबीर व उनसे संबंधित अनेक समुदायों व संप्रदायों की दीक्षा-विधियाँ प्रमुख रही हैं। इसमें नाथ, अघोर, कबीर, बावरी पंथ एवं सरभंगी संप्रदाय आदि विभिन्न दीक्षा विधियों में कर्मकांडीय भेद होते हुए भी दीक्षा की अवधारणा और व्यवहार प्रक्रिया का मूल रूप एकता पर आधारित है।
ये दीक्षा परंपराएँ स्वामी रामानुजाचार्य प्रभृति आचार्यों एवं संपूर्ण भक्ति आंदोलन से जुड़ी हैं। वस्तुत: संपूर्ण भारतीय चिंतन में दीक्षा, साधना व अध्यात्म चिंतन एवं कर्मकांड आदि के गहन ज्ञान से संपन्न यह ग्रंथ सुधी पाठकों के लिए अत्यंत ज्ञानपरक एवं संग्रहणीय है।
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विषयानुक्रम
आभार —Pgs. 5
भूमिका —Pgs. 7
1. दीक्षा-व्युत्पत्ति एवं स्वरूप —Pgs. 25
2. दीक्षा एवं वैदिक कर्मकांड —Pgs. 32
3. दीक्षा एवं तांत्रिक कर्मकांड —Pgs. 52
4. नाथ संप्रदाय में दीक्षा —Pgs. 70
5. अघोरपंथ में दीक्षा —Pgs. 102
6. सरभंग संप्रदाय में दीक्षा —Pgs. 111
7. वैष्णव संप्रदाय में दीक्षा (रामानुजाचार्य एवं रामानंद संप्रदाय के संदर्भ में) —Pgs. 124
8. कबीरपंथ में दीक्षा —Pgs. 137
9. बावरी-पंथ में दीक्षा —Pgs. 172
10. लोक प्रचलित दीक्षा —Pgs. 182
संकेत-सूची —Pgs. 203
जन्म : 1 जनवरी, 1962 को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कटवन नामक गाँव में।
शिक्षा : गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास, पुरातत्त्व व संस्कृति विषय में स्नातकोत्तर तथा पी-एच.डी. उपाधि।
कृतित्व : भोपाल विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली से रिसर्च इन्वेस्टिगेटर के रूप में जुड़े रहे और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (भोपाल) की दो शोध परियोजनाओं ‘दीक्षा की वैदिक परंपराएँ’ व ‘दीक्षा की वैदिकेतर परंपराएँ: एक ऐतिहासिक विवेचन’ के परियोजना निदेशक के रूप में महत्त्वपूर्ण कार्य। इंडियन हैरिटेज फाउंडेशन (पीटर्सबर्ग, अमेरिका) के ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदूइज्म’ में शोध अध्येता के रूप में भी जुड़े रहे।
संप्रति : जन शिक्षण संस्थान, बस्ती (उ.प्र.) (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार) में निदेशक के रूप में कार्यरत।
इ-मेल : chandramaulimani@yahoo.co.in
chandramaulimani@gmail.com