₹150
दीपशिखा—संतोष शैलजा‘दीपशिखा’ केवल निबंध-संग्रह नहीं, अपितु जीवन के विविध रूपों को उजागर करनेवाली रचना है। इसमें समसामयिक व सामाजिक प्रश्न हैं और परिवार एवं संस्कृति से संबंधित विषय भी। सुप्रसिद्ध लेखिका संतोष शैलजा के संवेदनशील हृदय ने उन सभी प्रश्नों के समाधान ढूँढ़ने का प्रयास किया है। इनके अलावा प्रकृति एवं सौंदर्य के साथ सांस्कृतिक विषय भी इन निबंधों में सहज प्रवेश पा गए हैं और कुछ संस्मरण भी हैं, जो यादगार बन गए हैं।
अपने पति शान्ता कुमार के साथ भारत-भ्रमण के अधिकांश अवसरों पर देश के विभिन्न भागों में प्रकृति के सान्निध्य से प्राप्त सुखद आभास की परिणति भी बहुत से लेखों के रूप में हो गई है।
सहज मन की सहज अभिव्यक्ति एवं मनोरंजन से भरपूर हैं ये निबंध।
जन्म : 14 अप्रैल, 1937, अमृतसर (पंजाब)।
शिक्षा : एम.ए., बी.एड.।
पश्चात् कुछ वर्ष दिल्ली में अध्यापन-कार्य किया। फिर शान्ता कुमारजी के साथ विवाह और पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में स्थायी निवास। लेखन-कार्य में रुचि होने से दिल्ली की पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित। पहली पुस्तक 1966 में ‘जौहर के अक्षर’ (कहानी संग्रह) के पश्चात् अब तक तीन उपन्यास ‘कनकछड़ी’, ‘अंगारों में फूल’, ‘सुन मुटियारे’ एवं पाँच कहानी संग्रह ‘ज्योतिर्मयी’, ‘टाहलियाँ’, ‘मेरी प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘हिमालय की लोक कथाएँ’, ‘जौहर के अक्षर’; दो कविता-संग्रह ‘ओ प्रवासी मीत मेरे’, ‘कुहुक कोयलिया की’ प्रकाशित। इनमें से ‘ओ प्रवासी मीत मेरे’ एवं ‘ज्योतिर्मयी’ में पति-पत्नी दोनों की सम्मिलित रचनाएँ हैं।