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प्रकाश मनु बच्चों के चहेते लेखक हैं, जिनकी कविता, कहानियाँ, नाटक और उपन्यास बच्चे ढूँढ़-ढूँढ़कर पढ़ते हैं और एक बार पढ़ने के बाद उनकी जादुई लेखनी के प्रभाव को कभी भूल नहीं पाते। कभी वे उनके साथ हँसते-खिलखिलाते और चहकते हैं तो कभी किसी मार्मिक प्रसंग की भावना में बहते हुए किसी और ही दुनिया में पहुँच जाते हैं।
‘दीवाली के नन्हे मेहमान’ प्रकाश मनु की बाल और किशोर पाठकों के लिए लिखी गई बड़ी ही रोचक और रसपूर्ण कहानियों का संग्रह है। ये ऐसी बाल कहानियाँ हैं, जिनमें बचपन का हर रंग, हर अंदाज है और नटखटपन से भरी कौतुकपूर्ण छवियाँ भी, जो बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी मुग्ध करती हैं। इनमें बच्चे हैं, उनके सुख-दुःख और सपने भी; और मनुजी ने मानो खुद बच्चा बनकर ही इन्हें बालमन की गहरी संवेदना के साथ लिखा है। इन कहानियों को पढ़ते हुए बच्चे अपने आसपास की दुनिया के दुःख-तकलीफों और समस्याओं में भी साझीदार होते हैं और एक सुंदर दुनिया बनाने में अपनी छोटी सी, लेकिन सार्थक भूमिका निभाते नजर आते हैं।
बरसों तक ‘नंदन’ के संपादन से जुड़े रहे प्रकाश मनु की ताजा कहानियों के इस संग्रह में किस्सागोई के तमाम रंग हैं। संग्रह की हर कहानी में बचपन की एक अलग दुनिया, अलग दास्तान है! इनमें मस्ती है और नटखटपन भी। इसीलिए ये कहानियाँ बच्चों को अपने दोस्त सरीखी लगेंगी। एक बार पढ़ने के बाद वे इन्हें कभी भूलेंगे नहीं और हमेशा एक बहुमूल्य उपहार की तरह सँजोकर रखेंगे।
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अनुक्रम
दीवाली के नन्हे मेहमान —Pgs. 7
फागुन गाँव की परी —Pgs. 22
घुम्मी-घुम्मा राज्य की अनोखी सैर —Pgs. 34
लाल फूलों वाली किताब —Pgs. 50
पुंपू और पुनपुन सरस्वती पार्क में —Pgs. 54
चाँदनी चौक में आई परी —Pgs. 64
निक्की सबसे सुंदर है —Pgs. 68
अजब किस्सा गुड़ियाघर का —Pgs. 75
हिरनापुर का शहीद मेला —Pgs. 81
लौट आओ राम —Pgs. 96
जानकीपुर की रामलीला —Pgs. 101
धरती की सब्जपरी —Pgs. 108
वह क्रांतिकारी वनमाला —Pgs. 122
जासूस पार्टी नंबर एक —Pgs. 135
पप्पन को मिला खजाना —Pgs. 143
भुल्लन चाचा की दीवाली —Pgs. 148
होलिका दरबार हास्य नाट्यम —Pgs. 160
सब्जीपुर की भिंडी चाची —Pgs. 170
कद्दूमल की घुड़सवारी —Pgs. 174
जन्म : 12 मई, 1950, शिकोहाबाद ( उप्र.)।
प्रकाशन : ' यह जो दिल्ली है ', ' कथा सर्कस ', ' पापा के जाने के बाद ' ( उपन्यास); ' मेरी श्रेष्ठ कहानियाँ ', ' मिसेज मजूमदार ', ' जिंदगीनामा एक जीनियस का ', ' तुम कहाँ हो नवीन भाई ', ' सुकरात मेरे शहर में ', ' अंकल को विश नहीं करोगे? ', ' दिलावर खड़ा है ' ( कहानियाँ); ' एक और प्रार्थना ', ' छूटता हुआ घर ', ' कविता और कविता के बीच ' (कविता); ' मुलाकात ' (साक्षात्कार), ' यादों का कारवाँ ' (संस्मरण), ' हिंदी बाल कविता का इतिहास ', ' बीसवीं शताब्दी के अंत में उपन्यास ' ( आलोचना/इतिहास); ' देवेंद्र सत्यार्थी : प्रतिनिधि रचनाएँ ', ' देवेंद्र सत्यार्थी : तीन पीढ़ियों का सफर ', ' देवेंद्र सत्यार्थी की चुनी हुई कहानियाँ ', ' सुजन सखा हरिपाल ', ' सदी के आखिरी दौर में ' (संपादित) तथा विपुल बाल साहित्य का सृजन ।
पुरस्कार : कविता-संग्रह ' छूटता हुआ घर ' पर प्रथम गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार, हिंदी अकादमी का ' साहित्यकार सम्मान ' तथा साहित्य अकादेमी के ' बाल साहित्य पुरस्कार ' से सम्मानित । ढाई दशकों तक हिंदुस्तान टाइम्स की बाल पत्रिका ' नंदन ' के संपादकीय विभाग से संबद्ध रहे । इन दिनों बाल साहित्य की कुछ बड़ी योजनाओं को पूरा करने में जुटे हैं तथा लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका ' साहित्य अमृत ' के संयुका संपादक भी हैं । "