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‘देखा मैंने’ लेखक हसमुख शाह के जीवन का प्रामाणिक दस्तावेज तो है ही, साथ ही वह उनकी जीवन-दृष्टि और जीवन का अवलोकन का भी एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। महत्त्वपूर्ण इसलिए कि लेखक हसमुख शाह कदाचित् अकेले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने देश के तीन प्रधानमंत्रियों के कार्यालय में उच्च पद पर कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त किया है। ‘देखा मैंने’ पुस्तक में श्री मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और श्रीमती इंदिरा गांधी के विषय में भी लिखा है। सिंहासन के नजदीक रहने के बावजूद लेखक किसी राजनीतिक विवाद या नैतिक फिसलन का शिकार नहीं हुए। इसलिए ‘देखा मैंने’ लेखक के जीवन का प्रामाणिक दस्तावेज है, जो रोचक भी है और प्रेरणात्मक भी।
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अनुक्रम | |
‘देखा मैंने’ के बारे में — 5 | 33. राजदरबार में (1977-1982) — 144 |
आमुख — 9 | 34. डाक-तार विभाग में दो वर्ष — 152 |
मेरी बात — 13 | 35. आई पी. सी. एल-2 — 156 |
भाग-1 | 36. निवृत्ति? — 171 |
1. पूर्व भूमिका — 23 | भाग-2 |
2. बजाणा का इतिहास — 27 | 1. मंत्रिमंडल की रचना — 181 |
3. हमादखान बापू — 30 | 2. संघर्ष-जीत और हार का — 184 |
4. अवयस्क राजकुमार की शिक्षा-दीक्षा — 33 | 3. मोरारजी देसाई — राजनीति और साधन शुद्धि — 193 |
5. मलेक श्री कमालखान — 36 | 4. मोरारजीभाई — अपरिग्रह और सूक्ष्म-विवेक — 204 |
6. प्राथमिक शाला — 42 | 5. प्रधानमंत्री कार्यालय एवं विद्याशंकर — 212 |
7. मिडिल स्कूल — 45 | 6. प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सेक्रेटरी एन. के. मुखर्जी — 217 |
8. स्कूल के बाहर — 49 | 7. इंदिरा गांधी — 222 |
9. खेल हमारा जीवन — 53 | 8. चौधरी चरणसिंह — 231 |
10. हमारा मनोरंजन — 58 | 9. खंडुभाई देसाई — 234 |
11. संगीतकार — 61 | 10. संजीव रेड्डी — 236 |
12. दयालजी काका — 63 | 11. प्रो. सतीश धवन — 239 |
13. भट्ट काका — 67 | 12. सैफ आजाद — 242 |
14. दादा बाबा और कादरी काका — 71 | 13. मदर टेरेसा — 247 |
15. गैराज और रहमतखान — 73 | 14. ल्यूब्लियाना — 251 |
16. पचाण और डाक — 75 | 15. ईशान की तरफ — 259 |
17. हाथी और हुसैन — 77 | 16. जोरहाट — 269 |
18. घुड़दौड़ — 79 | 17. सत्य के आंशिक प्रयोग — 275 |
19. एक चित्र — भूगोल और व्यक्तियों का — 81 | 18. दुनाली बंदूक — 280 |
20. लखतर की तासीर — 85 | 19. गिरिराज किशोर — 284 |
21. साधु पुरुष गिरधरलाल — 91 | 20. मौलाबक्ष का तैलचित्र — 287 |
22. मोटाबा — 94 | 21. देविका रानी — 291 |
23. भुभाबा — 97 | 22. कृष्णलाल श्रीधराणी — 293 |
24. मैट्रिक की परीक्षा — हमारी वैतरणी — 100 | 23. केन्याटा की अंतिम यात्रा — 296 |
25. हमारी परवरिश — माता-पिता — 104 | 24. चोगम — 301 |
26. हमारी परवरिश — बापूजी — 107 | 25. जनरल इलैक्ट्रिक कंपनी (जी. ई. ) — 310 |
27. पिताजी का व्यावसायिकजीवन — 109 | 26. लवराज कुमार — 314 |
28. हमारी परवरिश-बा (माँ) — 117 | 27. किशोर पारेख — 318 |
29. भावनगर और अहमदाबाद — 124 | 28. दहेज — 326 |
30. पाथेय (1957-1969) — 127 | 29. दहेज : भूमि-अधिग्रहण-कुछ सवाल — 330 |
31. पाथेय-2 — 137 | 30. धीरूभाई — 337 |
32. आई. पी. सी. एल. -1 — 140 |
हसमुख शाह गुजरात ही नहीं, पूरे भारतवर्ष एवं विदेश के प्रबुद्ध वर्ग में जाना-माना नाम है। भारत के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों क्रमशः मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह तथा इंदिरा गांधी के साथ कार्य किया।
सिंहासन के इर्द-गिर्द रहने के बावजूद उनका नाम न किसी विवाद में उछला, न ही उन पर कोई छींटाकशी हुई। अस्सी-नब्बे के दशक में पेट्रोकेमिकल उत्पादनों की सार्वजनिक क्षेत्र की सफल कंपनी आई.पी.सी.एल. का सालों तक कुशल नेतृत्व किया और कंपनी को अंतरराष्ट्रीय ऊँचाई प्रदान की।
आरंभिक वर्षों में प्राध्यापक के तौर पर अध्यापन और तत्पश्चात् महात्मा गांधी के समग्र जीवन-कार्य का संपादन उनकी सोच-समझ, सूझ-बूझ और जीवनशैली की बुनियाद रहे।
इतिहास, शिक्षा, कला, पर्यावरण और समाज सेवा उनकी रुचि के विषय और कार्य रहे हैं। आयु के आठवें दशक में भी सक्रिय रूप से रचनात्मक कार्यों से जुड़े रहे।