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विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आजादी से पूर्व और विभाजन के समय भी बहुत तेजस्वी था। उस कालखंड में संघ को कई महत्त्वपूर्ण दायित्व निभाने पड़े। धर्म के नाम पर इसलाम को अलग राष्ट्रीयता मानकर भारत का बँटवारा करवाया गया। देश सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा था। ऐसे वातावरण में नई-नई आई आजादी, विशेष तौर पर माताओं और बहनों का सम्मान तथा परिवारों की संपत्ति की रक्षा, यह सब एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे समय में संघ के असंख्य अनुशासित कार्यकर्ताओं ने सभी विषम परिस्थितियों में सकारात्मक भूमिका निभाई और राष्ट्रसेवा का महती कार्य किया। प्रसिद्धि परांगमुखता की पुरानी वृत्ति के कारण संघ के इस कर्तृत्व के इतिहास को अभी तक संकलित नहीं किया गया है। उस समय के बहुत सारे लोग दिवंगत हो गए हैं, स्मृतियाँ भी धुँधला रही हैं और उन घटनाओं के समग्र प्रमाण भी अब मुश्किल से मिलते हैं। इतिहास और सत्य के प्रति निष्ठा की यह माँग थी कि दिल्ली में संघ का इतिहास संकलित किया जाए और उसे व्यवस्थित करके पुस्तक के रूप में पाठकों के सामने लाया जाए। यह पुस्तक उसी अभाव की पूर्ति है। इतिहास हमारी धरोहर है। इस पुस्तक में उसे पूरी प्रामाणिकता से संरक्षित किया गया है।