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दिल्ली की राजनैतिक और संवैधानिक स्थिति के बारे में अनेक भ्रम और भ्रांतियाँ व्याप्त हैं। लेकिन तथ्य यह है कि दिल्ली राज्य नहीं बल्कि एक संघ शासित प्रदेश है, अर्थात् Centrally Administered Territory है। संविधान के अनुसार राज्यों के शासन-संचालन का दायित्व प्रत्येक राज्य की चुनी हुई सरकार का है, जिसके मुखिया उस राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं। लेकिन संघ शासित प्रदेशों के शासन का संचालन भारत के राष्ट्रपति को सौंपा गया है, जो इस दायित्व का निर्वहन संघ द्वारा नियुक्त एक प्रशासक के माध्यम से करते हैं।
वर्तमान में भारत में दिल्ली सहित 7 संघ शासित प्रदेश हैं। इनमें से केवल दो प्रदेशों पांडिचेरी और दिल्ली में ही शासन संचालन में जन प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने हेतु एक सीमित अधिकारों वाली विधानसभा का प्रावधान किया गया है।
पांडिचेरी के अतिरिक्त दिल्ली ही एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जिसके शासन संचालन के प्रावधानों का उल्लेख भारत के संविधान में ही कर दिया गया है। दिल्ली के संबंध में संविधान में दो नए अनुच्छेद (239 क क एवं 239 क ख) जोड़कर व्यवस्था बना दी गई है। इसलिए दिल्ली के वर्तमान ढाँचे में कोई भी परिवर्तन संविधान संशोधन के माध्यम से ही किया जा सकता है और वह भी संसद् के एक विशेष बहुमत के द्वारा।
संघ की राजधानी होने के नाते तीन विषय, अर्थात् कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि दिल्ली सरकार तथा विधानसभा की परिधि से बाहर रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त ‘सेवाओं’ का विषय स्वतः ही दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर इसलिए हो जाता है, क्योंकि संघ शासित प्रदेशों की अपनी कोई अलग सेवाएँ नहीं होतीं, संविधान में केवल संघ सेवाओं और राज्य सेवाओं का ही उल्लेख है। इसलिए केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत कर्मचारी संघ की सेवा में कार्यरत कर्मचारी ही माने जाते हैं और उन पर संघ सेवा के नियम व कानून ही लागू होते हैं। संघ सेवा कर्मचरियों की भरती और सेवा-शर्तों को रेगूलेट करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास है और वे इस अधिकार को प्रायः प्रशासक (उपराज्यपाल) को डेलीगेट कर देते हैं।
पुस्तक में मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच हुए मतभेद के मुख्य कारणों का भी विश्लेषण किया गया है।
विधायिका से संबंधित अध्याय में 1993 से लेकर अब तक की सभी छह विधानसभाओं के परिणाम, दलीय स्थिति, सदस्यों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, पीठासीन अधिकारियों, मंत्री परिषद् के गठन आदि का संपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक के कुछ अध्याय, जो आवश्यक रूप से पढे़ जाने चाहिए, वे हैं—‘पूर्ण राज्य का दर्जा ः क्या लाभ, क्या हानि’, ‘दिल्ली में सरकार कौन? राष्ट्रपति, उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री’, ‘संसदीय सचिव न वैधानिक, न संवैधानिक।’
आशा ही नहीं अपितु विश्वास है कि वर्षों के निजी अनुभव, गहन अध्ययन और शोध पर आधारित पुस्तक की यह रचना पाठकों को रोचक तो लगेगी ही, साथ-ही-साथ उनके प्रश्नों और जिज्ञासाओं का उत्तर प्रस्तुत करके उन्हें लाभान्वित भी करेगी।
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अनुक्रम
भूमिका — Pgs. 7
प्रस्तावना — Pgs. 11
1. दिल्ली : इसके इतिहास की झलक — Pgs. 15
2. राजधानी का स्थानांतरण — Pgs. 21
3. दिल्ली : एक समग्र दृष्टि — Pgs. 27
4. दिल्ली के महत्त्वपूर्ण स्थल — Pgs. 35
5. दिल्ली : इसका बदलता हुआ प्रशासनिक ढाँचा — Pgs. 44
6. उपयुक्त ढाँचा हेतु सुझाव देने के लिए सरकारिया समिति की नियुक्ति — Pgs. 50
7. किस प्रकार चलता है राष्ट्रीय राजधानी का शासन — Pgs. 59
8. पूर्ण राज्य से क्या लाभ क्या हानि — Pgs. 73
9. विधानमंडल — Pgs. 91
10. त्रिशंकु विधानसभा और ‘आप’ सरकार का गठन — Pgs. 124
11. छठी विधानसभा (2015) — Pgs. 140
12. दिल्ली में ‘सरकार’ कौन? राष्ट्रपति, उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री? — Pgs. 147
13. संसदीय सचिव का पद—न वैधानिक, न संवैधानिक — Pgs. 153
14. संविधान का संशोधन किए बिना किस प्रकार दिल्ली
सरकार का सशक्तीकरण संभव — Pgs. 159
परिशिष्ट-1
दल-बदल विरोधी कानून — Pgs. 165
परिशिष्ट-2
संविधान (उनहत्तरवाँ संशोधन) अधिनियम. 1991 — Pgs. 181
परिशिष्ट-3
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन — Pgs. 185
परिशिष्ट-4
ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रुल्स, 1993 — Pgs. 207
परिशिष्ट-5
कार्य आवंटन नियम — Pgs. 223
परिशिष्ट-6
दिल्ली राज्य विधेयक, 2003 — Pgs. 236
परिशिष्ट-7 (क)
दिल्ली विधानसभा के सदस्य (वेतन, भत्ते, पेंशन आदि संशोधन)
विधेयक 2011 — Pgs. 272
परिशिष्ट-7 (ख)
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मंत्री (वेतन एवं भत्ते)
(संशोधन) विधेयक, 2011 — Pgs. 279
परिशिष्ट-7 (ग)
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी की विधानसभा में विपक्ष के नेता
(वेतन तथा भत्ते)अधिनियम, 2001
(दिल्ली अधिनियम संख्या 6 वर्ष 2002) — Pgs. 283
परिशिष्ट-7 (घ)
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विधानसभा के मुख्य
सचेतक के वेतन और भत्ते अधिनियम, 2003
(दिल्ली अधिनियम संख्या 5 वर्ष, 2003) — Pgs. 286
जन्म : 26 मार्च, 1937 को पटियाला (पंजाब) में।
शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. (ऑनर्स) और एम.ए.।
औषधि विज्ञान, स्वास्थ्य, आहार-पोषण, योग, प्राणायाम, आयुर्वेद, होम्योपैथी आदि विषयों में विशेष अभिरुचि। हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, गुरुमुखी भाषाओं का पर्याप्त ज्ञान। अब तक विभिन्न विषयों पर 100 से ऊपर पुस्तकों का लेखन। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्वास्थ्य, योग, यौन, औषधि, धर्म संबंधी विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित।