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प्रस्तुत पुस्तक ‘देने का आनंद’ बिल क्लिंटन का विश्व समुदाय के प्रति मानव-सेवा का आह्वान है। यह एक प्रेरणादायी पुस्तक है, जो विश्व में बदलाव लाने के लिए हर क्षेत्र के व्यक्ति को प्रेरणा देती है—चाहे वह विशिष्ट व्यक्ति हो या आम। सर्वप्रथम, इस पुस्तक में कंपनियों, संगठनों तथा व्यक्तियों द्वारा समस्याओं के समाधान और अपने आस-पास से लेकर समूचे विश्व तक लोगों का जीवन बचाने की दिशा में किए जा रहे असाधारण और नवीन प्रयासों की जानकारी दी गई है। इस पुस्तक में श्री क्लिंटन ने कुछ गंभीर एवं जटिल विषयों पर अपनी गहन व व्यापक दृष्टि डाली है। उन्होंने उस नन्ही लड़की की भूरि-भूरि प्रशंसा की है, जिसने ‘बीच’ से गंदगी, कूड़ा-करकट हटाया। वहीं ऐसे अरब-खरबपतियों की भी सराहना की है, जो छात्रवृत्ति के लिए धनराशि देते हैं तथा गरीब देशों को माइक्रो-क्रेडिट ऋण देते हैं। इस पुस्तक में दान के विभिन्न स्वरूपों को उजागर किया गया है। इनमें क्लिंटन ने परोपकार एवं मानव-सेवा की अनेक कथाओं को वर्णित किया है। अधिकांश कथाओं को सुखांत दरशाया गया है। यदि प्रत्येक व्यक्ति समय या धन का दान दे, मदद करे, तो हम एक शानदार और खुशहाल दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।
क्लिंटन कहते हैं—“हर किसी में कुछ-न-कुछ देने की क्षमता होती है। मुझे आशा है कि इस पुस्तक में वर्णित चरित्रों तथा कथाओं-उपकथाओं से जन-मानस की अंतरात्मा का विकास होगा। इसकी विषय-वस्तु पाठकों के हृदयों को छू लेगी।”
पुस्तक का सार है कि नागरिकों की सक्रियता और सेवाभाव द्वारा विश्व को सहजता से बदला जा सकता है।
विलियम बिल क्लिंटन का जन्म 19 अगस्त, 1946 को अरकासा, अमेरिका में हुआ। अपने अध्ययन काल में वे एक मेधावी छात्र के रूप में जाने जाते थे। उन्हें सैक्सोफोन नामक वाद्ययंत्र बजाने का इतना शौक था कि वह इसे अपनी आजीविका बनाने के बारे में भी सोचते थे। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन कैनेडी से व्हाइट हाउस में हुई उनकी भेंट से उन्हें सामाजिक क्षेत्र में आने की प्रेरणा मिली। वर्ष 1968 में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक की डिग्री तथा वर्ष 1973 में येल विश्वविद्यालय से स्नातक (विधि) की डिग्री प्राप्त की। इसी वर्ष उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर आरंभ किया।
वर्ष 1975 में हिलेरी रोडमेन से विवाह-बंधन में बँध गए। एक बार गवर्नर का चुनाव हारने के बाद 1976 में वे अरकासा के अटॉर्नी जनरल व बाद में 1978 में अरकासा के गवर्नर बने। चार वर्ष गवर्नर रहने के बाद 1980 में वे चुनाव हार गए। 1982-1992 तक पुन: दस वर्ष के लिए अरकासा के गवर्नर रहे। सन् 1993-2001 तक अमेरिका के राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया।
राष्ट्रपति पद से मुक्त होकर वे अनेक गैर-सरकारी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। उन्होंने ‘क्लिंटन फाउंडेशन’ नाम की एक गैर-सरकारी संगठन की स्थापना की, जिसके माध्यम से वे ‘एड्स’ व ‘ग्लोबल वार्मिंग’ जैसे ज्वलंत विषयों पर वक्तव्य देते हैं। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।