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चीन मूल रूप से एक कृषिप्रधान विशाल साम्राज्यवादी देश रहा है, जिसमें गिने-चुने धनाढ्य जमींदार परिवारों का वर्चस्व था। उन्होंने आबादी के बड़े हिस्से पर राज किया, जिसमें मुख्य रूप से बंधुआ मजदूर और काश्तकार किसान थे। धनाढ्य वर्ग का नियंत्रण सरकार, सेना, न्यायपालिका से लेकर कानून लागू करनेवाली इकाइयों तक, हर स्तर पर था।
यह पुस्तक चीन की सरजमीं के शानदार लोगों के जीवन के सभी आयामों का अद्भुत प्रस्तुतिकरण है— चीनी लोगों की जिंदगी का वह पहलू जो इतिहास, संस्कृति और रीति-रिवाजों के बंधनों में बँधा कठिन-से-कठिन दौर में भी जीवंत बना रहता है। माओमाओ ने सन् 1966 से सन् 1976 के बीच हुई सांस्कृतिक क्रांति के दौरान अपने पिता के जीवन में घटी घटनाओं को एक पुस्तक के स्वरूप में पिरोकर पेश किया है।
डेंग राँग का जन्म दक्षिण पश्चिम चीन के छोंगछिंग शहर में डेंग श्याओपिंग की चौथी संतान के रूप में हुआ। पेइंचिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी के गर्ल्स मिडिल स्कूल से स्नातक करने के बाद वे उत्तर पश्चिम चीन के श्येनशी प्रांत के उत्तरी हिस्से में लेस पठार के एक गाँव में तीन साल रहने और काम करने के लिए गईं। बाद में उन्होंने चिकित्साशास्त्र की पढ़ाई की और पेइंचिंग मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की।
1980 के दशक के आरंभ में उन्होंने चार साल तक वॉशिंगटन डीसी में चीनी दूतावास के वाणिज्य दूतावास में पहले अटैची और फिर तृतीय सचिव के रूप में काम किया। स्वदेश वापस लौटकर उन्होंने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रधान कार्यालय के शोध विभाग में उप प्रमुख के रूप में
काम किया। वे आठवीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की प्रतिनिधि और छठवीं अखिल चीन महिला संघ की कार्यकारिणी सदस्य भी रहीं।
संप्रति वे चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉण्टेक्ट, चाइना चैरिटी फेडरेशन तथा चीन-रूस शांति, मैत्री एवं विकास समिति की उपाध्यक्ष और पेइचिंग संगीत समारोह की कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वे चीनी लेखक संघ की सदस्य भी हैं। 1993 में उनकी जीवनी ‘माय फादर डेंग श्याओपिंग’ प्रकाशित हुई। इसका जापानी, रूसी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, कोरियाई, थाई और डच भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनकी अन्य पुस्तक ‘Deng Xiaoping and the Cultural Revolution’ वर्ष 2000 में काफी चर्चित रही। इसका भी कोरियाई अनुवाद प्रकाशित हो चुका है।