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प्रखर पत्रकार एवं संपादक श्री एम.जे. अकबर ने इस चिंतनपरक पुस्तक में पिछले दशक पर एक व्यापक और गहरी निगाह डाली गई है, जो कि ऐसा काल था, जिसके टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर प्रतिष्ठाएँ ध्वस्त हुईं और घटनाएँ भी प्रवाह के बजाय जमावड़े के रूप में सामने आईं। भ्रष्टाचार, आतंकवाद, विलंबित न्याय, अधिकारों का उल्लंघन और सरकारी वादाखिलाफी का इतिहास राजनीतिक क्षेत्र से इतर हँसी के पात्र बन गए। इनके किरदार भी असाधारण रहे। हमारे विभाजित उपमहाद्वीप के संस्थापकों से लेकर भविष्य को आकार देनेवाले आज के लोग इसमें शामिल रहे।
यह पुस्तक खासतौर पर इसलिए विशिष्ट है, क्योंकि इसमें अकबर की अचूक निगाह ने वर्तमान घटनाओं के कारणों और उनके संभावित परिणामों का विश्लेषण, स्पष्ट वाक्यों और अपनी ही विशिष्ट शैली में किया है। पुस्तक में राजनीति, क्रिकेट, फिल्म तथा समाज के लगभग सभी पहलुओं पर उनकी बेबाक राय पाठक को सोचने पर विवश करेगी। भविष्य में सामाजिक अंतर्विरोधों के समाधान का मार्ग खोजने के प्रयासों को भी बल देगी।
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अनुक्रम
प्रस्तावना —pgs 7
एक बुनियादी बदलाव
1. भारत में आँख के अंधे —pgs 17
2. तूफान का संकेत —pgs 20
3. भोपाल के क्रोध के ऊपर दिल्ली की चुप्पी —pgs 23
4. मौन का नफा और नुकसान —pgs 26
5. हमारे होशियार गृहमंत्रीजी —pgs 29
6. देखा हुआ, अश्लील और अनदेखा —pgs 32
7. संसद् में 51 प्रतिशत एफ.डी.आई. के बारे में या विचार है? —pgs 35
8. सेंट अगस्तीन की शुचिता —pgs 38
9. एक कोख की कीमत —pgs 41
10. अतीत के भूतों का लैंगिक न्याय पर मँडराना —pgs 44
11. एक महल और खेत जोतने के बीच —pgs 47
12. राहुल गांधी इतनी जल्दबाजी में यों थे? —pgs 50
13. जी.डी.पी. नीचे, सकल घरेलू कड़वाहट ऊपर —pgs 53
14. भाषाई राज्यों की अंत्येष्टि —pgs 56
15. कोई अमेठी मॉडल यों नहीं है? —pgs 59
अधोगति बिंदु
1. राजनीतिक रोकड़ की संस्कृति —pgs 65
2. अवाक् —pgs 69
3. कितनी दुर्बलता बचा सकते हो, भाई? —pgs 73
4. क्रोध से घोर अपमान तक —pgs 76
5. आवश्यकता है ईमानदारी के लिए एक नोबेल पुरस्कार की —pgs 78
6. धूर्त भारत और मलिन भारत —pgs 80
7. कृपया अब आजादी मिले कुछ भारतीयों से —pgs 83
8. भ्रष्टाचार की इच्छा और अनिच्छा —pgs 86
पहचान और चुनाव
1. माया संसार —pgs 91
2. एक आँसू गिरने पर —pgs 94
3. प्रेम की शति और शति का प्रेम —pgs 97
4. परिवर्तन हमेशा कोई पूर्व झलक प्रस्तुत नहीं करता है —pgs 100
5. एक और उलट-फेर के बाद जिंदगी —pgs 103
6. राजनीतिज्ञों का व्यवसाय है राजनीति —pgs 106
7. संसदीय प्रणाली में मजाक —pgs 109
8. मोदी का दिल्ली कूच —pgs 112
9. लोकतंत्र एक सप्राण कर्म है —pgs 115
10. कांग्रेस की तीन गलतियाँ —pgs 118
11. मैं भाजपा में यों शामिल हुआ —pgs 121
12. आइंस्टाइन, विश्वजित और भारतीय चुनाव —pgs 124
13. काम के लिए एक वोट —pgs 127
14. दृष्टि-भ्रम की राजनीति सुस्त पड़ रही है —pgs 130
नई संस्कृति की तरफ एक कदम
1. समाधान हैं गांधी —pgs 133
2. तेलिनीपाड़ा में भगवान् का एक घर —pgs 136
3. देवबंद के लिए अनेक संग्राम —pgs 140
4. सह-अस्तित्व पर हमला —pgs 143
5. प्रवंचन मंच के रखवाले —pgs 146
6. बिरनाम जंगल नहीं खिसक रहा है अभी तक —pgs 149
भारत और पाकिस्तान : आमने-सामने
1. एक अवसर आया और गुजर गया —pgs 155
2. एक खामोश दीवार —pgs 161
3. जब विदेश नीति बनी उछल-कूद का खेल —pgs 165
4. पाकिस्तान के विषय पर राष्ट्रपति भारत की आवाज होता है —pgs 168
5. पाकिस्तान पुराने तानाशाहों का देश नहीं —pgs 171
6. हाफ़िज़ सईद अपनी सरकार द्वारा संरक्षित है —pgs 173
7. सामरिक स्वास्थ्य के लिए —pgs 176
उत्कृष्ट कृति
1. 1937 से पहले के जिन्ना —pgs 181
2. गुजरात के माओ —pgs 186
3. अन्ना की मुसकराहट —pgs 188
4. संघर्ष करने की कला —pgs 190
5. गणतंत्र दिवस पर बोस को यों भुला दिया गया था? —pgs 192
6. महात्मा गांधी एक हिंदू राष्ट्रवादी थे —pgs 195
7. गहरी भतिवाले शिष्य —pgs 198
8. आतिश-ए-चिनार —pgs 201
9. गलत दिशा में सिर हिलाना —pgs 204
10. एक पुस्तक, जिसने भेद खोला —pgs 207
11. उम्मीदों को चुनौती —pgs 210
धन्यवाद जीवेश और पटौदी
1. संगीत को गीत और आवाज को शद चाहिए —pgs 215
2. बी.बी.सी. ने गोलियों को छिपाया —pgs 218
3. चाय की दुकान पर कैसी चर्चा? —pgs 221
4. धन्यवाद जीवेश —pgs 224
5. आई.पी.एल. क्रिकेट का सच —pgs 227
6. वास्तविक तथ्य —pgs 230
7. पुरुष अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं —pgs 233
8. लैटिन अमेरिका की लातिनी जिम्मेदारी —pgs 235
9. हवाई अड्डे के कूड़े खुशियों का खजाना —pgs 238
10. भविष्य का इतिहास —pgs 241
11. धन शोर मचाता है, सच्चाई सिर्फ बुदबुदाती है —pgs 244
12. अंतिम रात्रिभोज की मीडिया व्यंजन सूची —pgs 247
13. पौराणिक भारत में सपने का संयोग —pgs 250
14. यादों को आने दो —pgs 253
15. अलविदा, महाशय! —pgs 255
16. टाइगर, टाइगर हमेशा चमकता है —pgs 258
17. मौत को कैद नहीं किया जा सकता —pgs 260
18. वह दुनिया, जहाँ दिल की चलती है —pgs 263
19. वर्ष 2013 में मुति और 2014 में लंबी जिंदगी मिली —pgs 265
20. गद्देदार सोफे पर दिखती है भारत के फुटबॉल की पहचान —pgs 268
21. युद्ध का नया स्वरूप —pgs 271
22. पीटर ओबोर्ने की पुस्तक ‘द वुंडेड टाइगर्स’ (जमी बाघ) की समीक्षा —pgs 273
23. कंधे पर एक नर्म स्पर्श —pgs 278
एम.जे. अकबर भारत के सर्वाधिक विशिष्ट लेखकों और चर्चित व्यक्तियों में शामिल हैं। पत्रकारिता के अपने लंबे कॅरियर में वे साप्ताहिक पत्रिका ‘संडे’ तथा दो दैनिक समाचार-पत्रों—‘द टेलीग्राफ’ और ‘द एशियन एज’ के संपादक रह चुके हैं। वे ‘इंडिया टुडे’ और ‘संडे गार्जियन’ के संपादकीय निदेशक भी रहे हैं। 1989 से 1991 के बीच वे लोकसभा सांसद रहे। मार्च 2014 में वे फिर से सार्वजनिक जीवन में लौटे और भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गए। दस साल बाद फिर से सत्ता में वापस लानेवाले ऐतिहासिक लोकसभा चुनावों के दौरान उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया गया। उन्होंने अनेक विश्वविख्यात पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें ‘इंडिया : द सीज विद इन’; ‘नेहरू : द मेकिंग ऑफ इंडिया’; ‘कश्मीर : बिहाइंड द वेल’; ‘द शेड ऑफ सोर्ड्स : जिहाद एंड
द कनफ्लिक्ट बिटवीन इसलाम एंड क्रिश्चियनिटी’; ‘टिंडरबॉक्स : द पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान’ और एक उपन्यास ‘ब्लड ब्रदर्स’ शामिल हैं। वे कलकत्ता मुसलिम ऑरफनेज के ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं।