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"यह उपन्यास अपने समय के सामाजिक, धार्मिक, और राजनीतिक पहलुओं को प्रमुखता से उजागर करता है। लेखक ने इसमें भारतीय समाज की कट्टरता, पाखंड, और अन्य सामाजिक कुरीतियों को खंगालने का प्रयास किया है। इसके साथ ही यह दिखाता है कि एक व्यक्ति अपने सच्चे स्वभाव और नैतिकता के आधार पर खुद को किस प्रकार पहचानता है और समाज में अपने स्थान की तलाश करता है।
कहानी की मुख्य पात्र देवकी नामक महिला है, जो एक ऐसे पुरुष से प्रेम करती है, जो न केवल उसे मानसिक रूप से संघर्ष करने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि उसे उसके अस्तित्व के महत्व को समझाता है। उपन्यास में समाज में व्याप्त असमानता, महिलाओं की स्थिति, और उनका संघर्ष प्रमुख रूप से दिखाया गया है।"