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"कलियुग काल में एक पूर्वनिर्धारित योजना के अनुसार, एक दिन नारद तथा नारायण ने पृथ्वी लोक की ओर प्रस्थान किया और धरती के विभिन्न भागों का भ्रमण करने लगे। भ्रमण के दौरान नारायण एक बूढ़े किसान तथा नारद एक नौजवान का वेश धारण किए हुए थे। रास्ते में आतेजाते हर व्यक्ति की दृष्टि इस अद्वितीय जोड़ी पर अवश्य पड़ती। नारद द्वारा पहना गया श्वेत सदरा उनके रूप की आभा बढ़ा रहा था। उन्होंने अपने काले घुँघराले बालों को समेटकर एक नारंगी पगड़ी में बाँध रखा था। उनकी काली सुनहरी आँखें एवं गोरा तेजस्वी शरीर उनके व्यक्तित्व को शोभायमान कर रहा था। वस्तुत: नारद कद से तो छोटे थे, किंतु उनके व्यक्तित्व का तेज सबके आकर्षण का केंद्र बन जाता। नारद के रूप की व्याख्या तो तेजल थी ही, परंतु नारायण की ख्याति इतनी अपूर्व थी कि वर्णन करने हेतु शब्द भी कम पड़ जाएँ। रूपवान चेहरे पर बड़ी बादामी आँखें, लालिमायुक्त गाल, चौड़ा सीना, गठीला बदन व विशिष्ट चाल के कारण वे वृद्ध वेश में भी युवा प्रतीत हो रहे थे।
—इसी पुस्तक से
देवर्षि नारद और त्रिलोकीनाथ नारायण के अनेक प्रसंगों पर आधारित रोचक एवं प्रेरणादायी कथाओं की पठनीय पुस्तक।"
डॉ. किसलय पांडेय भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। इसके साथ ही अनेक सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रियता रहती है, जिनका उद्देश्य भारत में विद्यमान सामाजिक समस्याओं को जड़ से मिटाना है। वह विशेष रूप से जानवरों की दुर्दशा को दूर करने के कार्य से जुड़े हैं। मूल रूप से वह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से हैं। अपनी कानून की पढ़ाई के उपरांत उन्होंने हरियाणा के गुरुग्राम की जी.डी. गोयनका यूनिवर्सिटी से कॉरपोरेट लॉ में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। डॉ. पांडेय ने वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर कर ‘आचार्य’ की उपाधि प्राप्त की, जिसके बाद राजस्थान की ओ.पी.जे.एस. यूनिवर्सिटी से पराचेतना (परब्रह्म-प्राप्ति) में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की और धर्मशास्त्री (थियोलॉजिस्ट) के रूप में भी अपनी सेवा समाज को दी। डॉ. पांडेय अनेक सर्वाधिक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय परिषदों की अध्यक्षता भी कर चुके हैं