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Devi-Vandana   

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Author Vinod Bala Arun
Features
  • ISBN : 9789353220129
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Vinod Bala Arun
  • 9789353220129
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 176
  • Hard Cover

Description

साधना में गहनता और आत्मीयता लाने के लिए परमात्मा को माँ के रूप में देखना हिंदू धर्म की एक विशेषता है। हमारे ऋषियों ने इस बात को बहुत गहराई से समझा था कि माँ के साथ संतान और संतान के साथ माँ का बड़ा आत्मीय और मजबूत संबंध है। बिना किसी छल-कपट, संशय व संकोच के बालक माँ की शरण में चला जाता है और माँ उसके सारे अपराध भुलाकर अपने गले लगा लेती है।
इसीलिए देवी माँ जे जगदंबा हैं, की आराधना का हमारे धर्म में विशेष महत्त्व है। मुख्य रूप से वर्ष में दो बार लगातार नौ रात्रियों तक पूजा, अर्चना एवं वंदन करके भक्त उनकी कृपा पाने का प्रयत्न करता है। उसे विश्वास होता है कि माँ उसके अवगुणों और अपराधों को बिसारकर उसे अपनी शरण में स्थान देंगी। 
माँ दुर्गा शक्ति की देवी हैं। जैसे जीवन में हर एक कार्य को करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार परमात्मा को सृजन, पालन और संहार के लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। भगवती दुर्गा ही वह शक्ति हैं, जिनके सहारे परमात्मा सृष्टि का नियमन करता है।
ऐसी माँ दुर्गा की वंदना के लिए हमने ‘दुर्गा सप्तशती’ के कुछ अंशों का संकलन और संपादन किया है। आशा है इससे भक्त लाभान्वित होंगे। 

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अनुक्रम

शुभशंसा — Pgs. 5

Foreword — Pgs. 8

पुरोवाक् — Pgs. 9

Preface — Pgs. 10

भूमिका — Pgs. 11

अथ सप्तश्लोकी दुर्गा

Atha Saptasloki Durga

Atha Saptasloki Durga — Pgs. 32

अथ सप्तश्लोकी दुर्गा — Pgs. 33

अथ श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

Atha Sridurgastottarasatanamastotram

(दुर्गा माता के 108 नाम)

Atha Sridurgastottarasatanamastotram — Pgs. 40

अथ श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् — Pgs. 41

अथ देव्याः कवचम्

Atha Devya: Kavacam

Atha Devya: Kavacam — Pgs. 50

अथ देव्याः कवचम् — Pgs. 51

अथ अर्गलास्तोत्रम्

Atha Argalastotram

Atha Argalastotram — Pgs. 74

अथ अर्गलास्तोत्रम् — Pgs. 75

कीलकम्

Kilakam

Kilakam — Pgs. 88

कीलकम् — Pgs. 89

अथ रात्रि सूक्तम्

Atha Ratri Suktam

Atha Ratrisuktam — Pgs. 98

अथ रात्रिसूक्तम् — Pgs. 99

देव्याः स्तुतिः

Devya: Stuti:

Devya: Stuti: — Pgs. 106

देव्याः स्तुतिः — Pgs. 107

अथ देवीसूक्तम्

Atha Devisuktam

Atha Devisuktam — Pgs. 138

अथ देवीसूक्तम् — Pgs. 139

क्षमा-प्रार्थना

Ksama-Prarthana

Ksama-Prarthana — Pgs. 152

क्षमा-प्रार्थना — Pgs. 153

अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला

Atha Durgadvatrinsannamamala

Atha Durgadvatrinsannamamala — Pgs. 158

अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला — Pgs. 159

अथ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्

Atha Devyaparadhaksamapanastotram

Atha Devyaparadhaksamapanastotram — Pgs. 164

अथ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् — Pgs. 165

The Author

Vinod Bala Arun

डॉ. विनोद बाला अरुण मनोविज्ञान, हिंदी और संस्कृत में एम.ए. हैं। उन्होंने ‘वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के नैतिक मूल्य और उनका मॉरीशस के हिंदू समाज पर प्रभाव’ पर पी-एच.डी. की है। वे महात्मा गांधी संस्थान में संस्कृत और भारतीय दर्शन की वरिष्ठ व्याख्याता रह चुकी हैं। डॉ. विनोद बाला अरुण भारत और मॉरीशस के संयुक्त सहयोग से स्थापित ‘विश्व हिंदी सचिवालय’ की प्रथम महासचिव रहीं। सेवा-निवृत्ति के बाद संप्रति ‘रामायण सेंटर’ की उपाध्यक्षा का दायित्व मानद रूप में सँभाल रही हैं। उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियाँ बहुआयामी हैं। वे सामाजिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक विषयों पर प्रवचन करती हैं। रेडियो पर नवनीत, चयनिका, प्रार्थना, जीवन ज्योति और आराधना कार्यक्रमों में क्रमशः भक्त कवियों के पदों की व्याख्या, हिंदी साहित्य की विवेचना, उपनिषदों की व्याख्या द्वारा भारतीय दर्शन का तत्त्व चिंतन व संस्कृत की सूक्तियों का आधुनिक संदर्भों में मूल्यांकन और भक्ति गीतों का भाव निरूपण करती हैं।
डॉ. अरुण ने ‘मॉरीशस की हिंदी कथा यात्रा’ में मॉरीशस की हिंदी कथा का आलोचनात्मक इतिहास लिपिबद्ध किया है।
डॉ. अरुण अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित हैं, जिनमें ‘मानस संगम साहित्य सम्मान’, विश्व हिंदू परिषद्, मॉरीशस द्वारा ‘धर्म भूषण’, अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क द्वारा ‘साहित्य शिरोमणि’ और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान’ प्रमुख हैं।

 

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