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रियल ‘सिंघम’, ‘रॉबिनहुड’, ‘दबंग’, ‘चुलबुल पांडेय’ जैसे नामों से नवाजे जाते रहे 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के डीजीपी हैं। बिहार में कम्युनिटी पुलिसिंग के अगुआ, डीजीपी पांडेय बहुत लोकप्रिय हैं। लोक जागरण के लिए सोशल मीडिया का बिंदास प्रयोग और अभिव्यक्ति का उनका अंदाज जनता, खासकर युवाओं को काफी पसंद है। वे बिहार में नशामुक्ति और शराबबंदी के ब्रांड अंबेसेडर भी हैं। उनकी जीवन-शैली इतनी साधारण, सादगीपूर्ण है कि लोग कहते हैं कि लगता ही नहीं कि वे डीजीपी हैं!
इस पुस्तक में लेखिका ने श्री गुप्तेश्वर पांडेय के बतौर डीजीपी और डीजीपी बनने के क्रम में किए गए उनके प्रयासों को साझा किया है। युवाओं को समर्पित यह पुस्तक गुप्तेश्वर पांडेय की मित्र पुलिसिंग के साथ सख्त कार्य-शैली का वर्णन करती ही है, साथ-ही-साथ छात्रों व युवाओं को संदेश भी देती चलती है कि विषम और विकट परिस्थितियों में भी कैसे सफलता की मंजिल पाई जा सकती है और डीजीपी जैसे पद पर पहुँचकर भी कैसे अहंकार से पार पाया जा सकता है। आमजन में पुलिस के भय और अविश्वास को कम करने के लिए सतत क्रियाशील रहे एक समर्पित जनसेवक की प्रेरक जीवनगाथा।
सविता पांडेय
जन्म : 26 अप्रैल, 1984 (पटना)
स्वतंत्र पत्रकार, चित्रकार, लेखिका, अनुवादक।
अंग्रेजी में एम.ए., फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा। थिएटर एप्रीसिएशन सर्टिफिकेट (राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय NSD, दिल्ली)
देश की प्रतिष्ठित विभिन्न साहित्यिक और समाचार पत्र-पत्रिकाओं, वेबसाइट्स/पोर्टल्स में कविताएँ, कहानियाँ, आलेख, फीचर, समीक्षा, साहित्यिक-सांस्कृतिक रपट आदि प्रकाशित। पहली कहानी ‘टुन्नियाँ’ दैनिक जागरण में प्रकाशित एवं पुरस्कृत। ‘कथादेश’ अखिल भारतीय हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता में दो बार पुरस्कृत। ‘साहित्य आजतक’ द्वारा आयोजित ‘लल्लनटॉप कहानी प्रतियोगिता’ में दो बार कहानी पुरस्कृत। ‘हिंदी चेतना’ (कनाडा) लघुकथा प्रतियोगिता-2018 में कथा पुरस्कृत।
स्कूल-कॉलेज स्तर पर पेंटिंग प्रतियोगिताओं में अनेक बार पुरस्कार-सम्मान।
‘गुलाबी लड़कियाँ’ (कहानी-संग्रह)।
इ-बुक ‘वाट्स गोइंग अप’ (लघुकथा-संग्रह) अमेजन किंडल पर प्रकाशित।
संपर्क : savitapan@gmail.com