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भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने अंतर्ज्ञान के अनुभव और आध्यात्मिक परंपराओं को संस्कार एवं संस्कृति के रूप में उन्होंने जनमानस में वितरित किया। परंपराएँ तो चलती जा रही हैं, किंतु इनके मूल ज्ञान और मूल आधार से हम अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। भारतीयों को गुलामी झेलनी पड़ी। विशेष करके मुगलों के शासन काल में काफी धार्मिक अत्याचार सहने पड़े। हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाने लगा। इसलिए उस समय के धार्मिक गुरुओं ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए हर कर्म को धार्मिक रूप दे दिया, जिससे धर्म के नाम पर ही सही, जो संस्कार ऋषि-मुनियों ने दिए थे, उन्हें हमारे पूर्वज अपनाकर, अपनी धरोहर मानकर, सँजोकर रखने में सफल रहे। समय के साथ इन प्रथाओं ने धार्मिक विधि का रूप ले लिया और बिना कुछ सोचे-समझे ही धर्म की आज्ञा मानकर ये रीतियाँ चलती रहीं। किंतु आज की युवा पीढ़ी हर कर्म, विधि या संस्कार को मानने से पूर्व इसके पीछे क्या कारण है, यह जानने को उत्सुक है।
हिंदू धर्म की विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं को वैज्ञानिकता के आधार पर प्रमाणित करती पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम
प्रस्तावना — Pgs.7
संदेश — Pgs.9-19
आभार — Pgs.21
1. दोनों हथेलियाँ जोड़कर नमस्ते क्यों करें? — Pgs.27
2. तिलक अथवा कुंकुम माथे पर क्यों? — Pgs.30
3. मंदिरों में घंटी क्यों? — Pgs.32
4. हाथों और पैरों पर मेहँदी क्यों लगाते हैं? — Pgs.36
5. दक्षिण दिशा में पैर करके क्यों न सोएँ? — Pgs.38
6. स्त्रियों के पैर की उँगली में चाँदी का बिछुआ क्यों? — Pgs.42
7. सुहागन स्त्री माथे पर सिंदूर क्यों लगाती है? — Pgs.44
8. पीपल के वृक्ष की पूजा क्यों? — Pgs.46
9. घर में तुलसी क्यों? — Pgs.48
10. कर्णवेध (कानों में छेद) क्यों? — Pgs.51
11. भारतीय महिलाएँ नाक में छेद क्यों करती हैं? — Pgs.53
12. भारतीय स्त्रियाँ चूड़ियाँ क्यों पहनती हैं? — Pgs.56
13. बड़ों-बुजुर्गों के या साधु-संतों के आशीर्वाद क्यों लें? — Pgs.58
14. पैर छूकर या पैरों पर सिर रखकर प्रणाम क्यों करें? — Pgs.61
15. पुरुषों के सिर पर शिखा (चोटी) क्यों? — Pgs.64
16. मूर्तिपूजा की आवश्यकता क्यों? — Pgs.66
17. उपवास क्यों करने चाहिए? — Pgs.72
18. सूर्योदय से पूर्व उठना अच्छा क्यों? — Pgs.75
19. स्नान से पूर्व भोजन निषिद्ध क्यों? — Pgs.77
20. मंदिर क्यों जाना चाहिए? — Pgs.78
21. पूजा में सिल्क के कपड़े को प्राथमिकता क्यों? — Pgs.80
22. पवित्र कार्यों में हल्दी का उपयोग क्यों? — Pgs.82
23. ॐ सर्वश्रेष्ठ मंत्र क्यों? — Pgs.84
24. जमीन पर बैठकर भोजन क्यों करें? — Pgs.102
25. भोजन की शुरुआत तीखे और अंत मीठे से क्यों? — Pgs.104
26. पूजा में कपूर आरती क्यों? — Pgs.106
27. मृत व्यक्ति के घर से या श्मशान से आने के बाद स्नान क्यों? — Pgs.109
28. गायत्री मंत्र का विज्ञान क्या है? — Pgs.112
29. प्रातः कर दर्शन क्यों? — Pgs.117
30. यज्ञोपवीत (जनेऊ) क्यों? — Pgs.120
31. जीवन में प्राणायाम आवश्यक क्यों है? — Pgs.122
32. भोजन करते समय टी.वी. क्यों न देखें? — Pgs.126
33. मकर संक्रांति में तिल-गुड़ क्यों? — Pgs.131
34. घर के मंदिर में अखंड ज्योति क्यों? — Pgs.133
35. घर में प्रार्थना-स्थान अथवा पूजाघर क्यों? — Pgs.136
36. मंदिर में नारियल की भेंट क्यों? — Pgs.139
37. शुभ कार्यों में कलशपूजन क्यों? — Pgs.141
38. यज्ञ अथवा होम (हवन) क्यों? — Pgs.144
39. माला क्यों फेरें एवं माला में 108 दाने ही क्यों? — Pgs.148
40. सोलह संस्कार कौन से और क्यों? — Pgs.151
41. पूजा में शंख क्यों? — Pgs.158
42. विवाह-संस्कार को विशेष महत्त्व क्यों? — Pgs.160
43. क्या नजर लगना सत्य है? — Pgs.164
44. क्या मौन रखना लाभप्रद है? — Pgs.168
45. ताँबे के बरतन का पानी श्रेष्ठ क्यों? — Pgs.171
46. क्या गंगाजल पवित्र है—क्यों और कैसे? — Pgs.177
47. हिंदू संस्कृति में रंगोली का महत्त्व क्यों? — Pgs.184
48. भारतीय शौचालय सर्वश्रेष्ठ क्यों? — Pgs.189
49. पूजा में फूलों का महत्त्व क्यों? — Pgs.194
50. घर का भोजन सर्वश्रेष्ठ क्यों? — Pgs.196
51. सवेरे सूर्यपूजा क्यों? — Pgs.203
52. वास्तु शास्त्र : क्यों और कैसे? — Pgs.206
53. एक ही गोत्र में विवाह करना योग्य या अयोग्य? — Pgs.212
54. जीवन में अध्यात्म की आवश्यकता क्यों हैं? — Pgs.216
55. रुद्राक्ष के पीछे के धार्मिक, आध्यात्मिक और शास्त्रीय सत्य क्या हैं? — Pgs.219
56. अग्निहोत्र के पीछे के धार्मिक, आध्यात्मिक एवं शास्त्रीय सत्य — Pgs.229
57. मंत्रशक्ति क्या है? — Pgs.242
58. क्या भारतीय शास्त्र आज के आधुनिक साइंस से अधिक प्रगत थे? कैसे? — Pgs.261
59. धर्म का अर्थ क्या है? — Pgs.267
60. तोरण की सजावट किसलिए? — Pgs.272
डॉ. हरिप्रसाद सोमाणी एक सुप्रसिद्ध उद्योजक हैं तथा रोटरी इंटरनेशनल के प्रांत 3132 के गवर्नर रह चुके हैं। काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र चैंबर ऑफ ट्रेड, कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, मुंबई के सदस्य तथा मराठवाड़ा चैंबर ऑफ ट्रेड ऐंड कॉमर्स के सचिव रह चुके हैं। अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. हरिप्रसाद सोमाणी को प्राइड ऑफ इंडिया—भास्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पच्चीस से अधिक सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक संस्थाओं से वे सक्रियता से जुड़े हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों तथा विदेशों में, कई विषयों पर उनके एक हजार से भी ज्यादा भाषण हो चुके हैं। ‘परिवार ही एक स्वर्ग’, ‘आर्ट ऑफ पब्लिक स्पीकिंग विद एनिमेशंस’ तथा ‘की टू सक्सेस’ नामक डीवीडी भी प्रसारित हो चुकी हैं। एक प्रेरणादायक प्रशिक्षक (Motivation Trainer) के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान है।