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Dharmakshetre Kurukshetre   

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Author Vishwas Dandekar
Features
  • ISBN : 9788193288849
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vishwas Dandekar
  • 9788193288849
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 240
  • Hard Cover

Description

महाभारत पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं। यहाँ तक कि उसके पात्रों पर भी स्वतंत्र और विपुल लेखन उपलब्ध है। काव्य, महाकाव्य, उपन्यास, नाटक आदि विधाओं में रचित इन पुस्तकों में अभ्यासकों, टीकाकारों, साहित्यकारों ने अपने-अपने ढंग से पात्रों एवं घटनाओं को रेखांकित करने का प्रयास किया है, जिसे पढ़कर जन-मानस में श्रीकृष्ण इस ‘व्यक्तिरेखा’ के विषय में एक आम धारणा बनती है, जो अंततः उन्हें ‘पूर्णावतार’ के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होती है। लेकिन वास्तव में कैसे रहे होंगे श्रीकृष्ण! क्यों जरूरी रही होगी उन्हें पांडवों के साथ मित्रता? चिंतन-मनन की कसौटी पर कितनी खरी उतरती है ‘विराट्-स्वरूप’ की अवधारणा! क्या केवल प्रेम-पत्र पढ़कर रुक्मिणी-हरण के लिए दौड़ पड़े होंगे कृष्ण द्वारका से विदर्भ के कुंडिणपुर या ‘गणतंत्र’ की सुरक्षा से संबंधित कोई राजनीतिक कारण भी रहा होगा? वे कौन से निर्णय, कार्य तथा पराक्रम थे, जिनके कारण वसुदेव देवकी-नंदन ‘कृष्ण’ कालचक्र के साथ गुरुतर होते हुए क्रमशः महापुरुष, महामानव, अवतारपुरुष और अंततः पूर्णावतार कहलाए!
‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ में प्रस्तुत है श्रीकृष्ण के महिमामंडन, चमत्कार आदि को दरकिनार करके ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर खोजता, उनके व्यक्तित्व का तर्कसंगत विश्लेषण करता हुआ उपन्यास।

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अनुक्रम

मनोगत — 7

आभार — 11

1. खोज मूल कृष्ण की  — 15

2. महामानव की दिशा में मार्गक्रमण — 23

3. गणतंत्र स्थापना के प्रयास — 38

4. मथुरा से सोरठ (द्वारका) की पृष्ठभूमि — 51

5. मतभेद का बीजारोपण — 59

6. महायुद्ध की पृष्ठभूमि — 80

7. द्यूत-प्रसंग का रहस्य — 92

8. द्यूत की वस्तुस्थिति — 107

9. महासमर का प्रमुख कारण — 118

10. कृष्ण शिष्टाचार — 134

11. महाभारत युद्ध और फलप्राप्ति  — 143

12. आवश्यकता व्यापक खोज की — 163

13. पृष्ठभूमि — 180

परिशिष्ट

संशोधन की नई चुनौतियाँ — 194

संदर्भ ग्रंथ — 239

The Author

Vishwas Dandekar

5 दिसंबर, 1939 को जन्मे श्री दांडेकर भारतीय जीवन बीमा निगम में वरिष्ठ-अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हैं।
रचना-संसार : तीन उपन्यास ‘चाणक्य’, ‘महादजी सिंदे’ एवं ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’; एक संस्मरण ‘माणसं माणसांसारखीचं वागतात’। साथ ही राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में विपुल लेखन।
पुरस्कार : ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ पुणे नगर वाचन मंदिर द्वारा ‘श्री ना. बनहट्टी पुरस्कार’ से गौरवान्वित।
संपर्क : ‘मालवती’, 17-बी, कांगा कॉलोनी, सातारा-415001 (महाराष्ट्र)
दूरभाष : 08275481285

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