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आजादी के बाद पत्रकारीय परिदृश्य में सर्वाधिक चर्चित और प्रतिष्ठित संपादकों में डॉ. धर्मवीर भारती का नाम आदर और श्रद्धा से लिया जाता है। वे मूल्य आधारित पत्रकारिता के आग्रही थे। उन्होंने ‘धर्मयुग’ के माध्यम से हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उन्होंने प्रतिभा-संपन्न और संभावनाशील लेखकों, विशेषकर महिला लेखकों, की एक पूरी पीढ़ी तैयार की। वे ऐसे अनूठे संपादक थे, जो न केवल पाठकों की अपेक्षाओं के अनुरूप सामग्री देते थे, अपितु इसके द्वारा अपने पाठकों को शिक्षित और संस्कारित भी करते थे। हिंदी में विज्ञान पत्रकारिता और खेल पत्रकारिता को परिष्कृत करने का श्रेय भी उन्हें जाता है। उन्होंने आलोचना का भी संपादन किया। हिंदी के यशस्वी संपादक डॉ. धर्मवीर भारती के जीवन एवं रचनाधर्मिता को साकार रूप में उपस्थित करनेवाली एक बहूपयोगी पुस्तक।
आशा है, पत्रकारिता के विद्यार्थी, शोधार्थी, नव प्रशिक्षु पत्रकार ही नहीं, स्थापित लेखक-पत्रकारों का मार्ग-दर्शन करेगी यह पुस्तक।
दो दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय सुधांशु मिश्र प्राणी विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं। पत्र-पत्रिकाओं में उनके शताधिक आलेखों के साथ ‘हिंदी की प्रमुख समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ’ शोधपरक पुस्तक प्रकाशित। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की स्वतंत्र भारत में भारतीय पत्रकारिता का इतिहास लेखन की शोध परियोजना में दो वर्ष तक कार्य करने के पश्चात् वर्तमान में विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया मीमांसा’ में सहायक संपादक हैं।