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नीरज नीर ने कुछ ही समयावधि में एक संभावनाशील कथाकार के रूप में अपनी पुख्ता पहचान बना ली है। उनका यह पहला कथा-संग्रह इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि उनके पास कहने को भी बहुत कुछ है और कहने की भंगिमा भी। दरअसल लेखक की परख इस बात से भी होती है कि वह किन चीजों को कहाँ से देख रहा है। इस मामले में नीरज नीर की पोजिशनिंग बिल्कुल स्पष्ट है। तकरीबन सभी पात्र निम्नवर्गीय या निम्नमध्यवर्गीय हैं, जिनके हर्ष-विषाद, संबंधों के घात-प्रतिघात, सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने से उनके संघर्ष की कल्पना होती है, जैसे हर चरित्र असीम दुःख के पहाड़ को पूरी ताकत के साथ ठेलने की कोशिश कर रहा है और इस कोशिश में लहूलुहान हो रहा है। इन कहानियों में कथ्य की वैविध्यता अपने ऐश्वर्य के साथ मौजूद है। नीरज नीर की कहानियों की डिटेलिंग कभी-कभी चमत्कृत कर देती है कि लेखक अपने पात्रों के जीवन तल में कितने गहरे उतरा है और पाठक को भी हाथ पकड़कर उन गहराइयों में ले जाने को बाध्य भी करता है। नीरज नीर न तो जटिल शिल्प के आग्रही हैं और न ही अलंकृत भाषा की चकाचौंध के। बिल्कुल उनकी कहानियों के चरित्रों की तरह सादगी ही शिल्प है और जीवन की तरह प्रवाहमयी भाषा-निर्द्वंद्व, झलमल, यथानाम नीर की तरह बहती हुई।
—पंकज मित्र
सुप्रसिद्ध कथाकार
नीरज नीर
शिक्षा : राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक।
रचना-संसार : ‘जंगल में पागल हाथी और ढोल’ (काव्य-संकलन, 2017) एवं दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ, व्यंग्य, समीक्षा आदि प्रकाशित।
सम्मान : प्रथम महेंद्र स्वर्ण साहित्य सम्मान, सृजनलोक कविता सम्मान, ब्रजेंद्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान, दो बार प्रतिलिपि लघुकथा सम्मान, दो बार अखिल भारतीय कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानी के लिए जयपुर में पुरस्कृत।
आकाशवाणी व दूरदर्शन से नियमित कहानियों व कविताओं का प्रसारण।
संप्रति : केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर में अधीक्षक एवं झारखंड में पदस्थापित।
संपर्क : आशीर्वाद, बुद्ध विहार, पो.ऑ. अशोक नगर, राँची-834002 (झारखंड)
इ-मेल : neerajcex@gmail.com
मो. : 8789263238