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यह कहानी इतिहास के मलबे में करीब 1200 सालों से दबी हुई थी। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें वीरता, पराक्रम, त्याग जैसे शब्द एक ऐसी स्त्री के साथ जुड़े हुए हैं, जिसने अपनी शारीरिक अपंगता को धता बताकर मध्यकालीन विश्व में इतिहास में सबसे लंबे समय तक राज किया, को महान् रानी के रूप में याद किया जाता है। यह कहानी है कश्मीर की योद्धा रानी ‘दिद्दा’ की, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर को ऊँचाइयों तक पहुँचाया और मध्यकालीन एशिया का सबसे सशक्त राज्य बनाकर स्थापित किया।
भगवान् ने दिद्दा को अलौकिक दिव्य शक्तियाँ प्रदान की थीं, वे बहुत बुद्धिमान थीं और एक असाधारण वक्ता भी। दिद्दा ने न सिर्फ अपनी विकलांगता पर विजय पाई, बल्कि अपने बिखरते साम्राज्य को एकजुट करके भी रखा। अपने 79 वर्ष के जीवनकाल में दिद्दा एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में निखरकर आईं, जिनके नाममात्र से ही दुश्मन काँपने लगते थे।
दिद्दा कोई साधारण महिला नहीं थीं, पर इस बात में कोई शक नहीं कि उनका पूरा जीवनकाल असाधारणता की मिसाल रहा।
‘दिद्दा’ एक नाम भर नहीं है, बल्कि यह पर्याय है भारतीय नारी की अस्मिता का, गौरव का, संघर्ष का, त्याग का, पराक्रम का। ‘दिद्दा’ एक प्रेरणापुंज है जिससे हमारी आज की मातृशक्ति का भविष्य प्रकाशमान होगा।
आशीष कौल मीडिया व एंटरटेनमेंट जगत् का जाना-माना नाम है। आशीष का विश्वास है कि व्यक्ति हो या समाज, सशक्तीकरण का रास्ता ‘संवाद’ से होकर निकलता है और बेहतरीन संवाद तब स्थापित होता है, जब समुचित जानकारी और उदहारण के साथ अपनी बात कही जाए। अपनी इसी अलग सोच और खास अंदाज के चलते बिजनेस लीडर और कम्यूनिकेशंस एक्सपर्ट के रूप में भी उन्होंने खूब प्रतिष्ठा अर्जित की है। 1990 में सपरिवार कश्मीर छोड़ने पर मजबूर हुए आशीष कॉल ने जी नेटवर्क, हिंदुजा ग्रुप, बी.ए.जी. नेटवर्क समेत कई बड़ी कंपनियों में ऊँचे पदों पर रहने के बाद अपनी कंपनी ‘फोकलोर एंटरटेनमेंट’ के साथ एक नई पारी शुरू की है। इस पारी में वह कश्मीर के 5000 साल के इतिहास के शोध से जुटाए तथ्यों को किताबों और डॉक्यूमेंटरी की शक्ल में लोगों के सामने रख रहे हैं, ताकि कश्मीर का इतिहास और सच पूरे देश और विश्व के सामने आए। इतिहास के सिरे जोड़ते वक्त आशीष के सामने ऐसी कई प्रभावी ऐतिहासिक स्त्रियाँ आईं जिनके कारण कभी श्रीकृष्ण ने स्वयं कश्मीर को ‘स्त्रीदेश’ का नाम दिया। इन महिलाओं ने दुनिया को कई लोक कल्याणकारी व्यवस्थाएँ, जैसे जन वितरण केंद्र, जल वितरण सुविधाएँ, जनतंत्र, बैंकिंग जैसी व्यवस्थाएँ दीं। ऐतिहासिक महायोद्धा रहीं ‘दिद्दा’ उन्हीं विशिष्ट महिलाओं में से एक हैं। आशीष कौल की पिछली तीन पुस्तकें भी बेस्टसेलर की सूची में संकलित होकर पाठकों के बीच खूब लोकप्रिय हुईं।