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माँ भारत के सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का दिव्य व्यतित्व एक दीपक नहीं, बल्कि एक सूरज बनकर हम सबके जीवन को प्रकाशमान कर रहा है। उन्होंने कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा व अस्तित्व को देश पर न्योछावर करने का प्रण कर लिया था। अनेक अत्याचार और बाधाओं के बावजूद उन्होंने अपने आप को कमजोर नहीं पड़ने दिया, बल्कि अपनी अद्भुत जिजीविषा का परिचय देकर अपनी अप्रतिम संगठन शति का परिचय दिया। सुभाषचंद्र बोस के जीवन का केवल एक लक्ष्य था—आजादी। उन्होंने हर एक भारतीय से कहा, ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’’ सुभाषचंद्र बोस बड़े-से-बड़े जोखिम से टकर लेते थे, योंकि वे इस बात को जानते थे कि बिना जोखिम की सफलता ऐसी विजय की तरह है, जिसमें गौरव न हो।
सुभाषचंद्र बोस के अचल विश्वास और कार्यों ने संपूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया था। उस समय सुभाषचंद्र बोस का अस्तित्व ही ब्रिटिशों के लिए खतरे की घंटी बन गया था। उन्हें ज्ञात हो गया था कि सुभाषचंद्र बोस अब भारत में उनके साम्राज्य को अधिक दिनों तक न रहने देंगे; और हुआ भी यही। सुभाषचंद्र बोस ने अपना संपूर्ण जीवन भारतमाता के चरणों में समर्पित कर दिया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रेरणाप्रद जीवन, उनकी दूरदर्शिता, संगठनात्मक कौशल व कूटनीति को छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करती है यह पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम | |
प्राकथन—७ | 61. सैन्य प्रशिक्षण का रोमांच—132 |
1. सुभाष का जन्म—13 | 62. मनोविज्ञान से टूटा नाता—134 |
2. स्कूल में प्रवेश—15 | 63. जलियाँवाला बाग हत्याकांड—136 |
3. सुभाष का स्कूल—17 | 64. कैंब्रिज में प्रवेश—138 |
4. सुभाष के शिक्षक—19 | 65. सिविल सर्विस की पढ़ाई—140 |
5. स्कूल का परिवेश—20 | 66. कैंब्रिज की आजादी—142 |
6. प्रधानाध्यापक की सनकियाँ—22 | 67. पुस्तक-प्रेम—144 |
7. भारतीय विद्यार्थियों के साथ भेदभाव—24 | 68. भारतीयों से भेदभाव—146 |
8. नए स्कूल में प्रवेश—26 | 69. ओ.टी.सी. में भरती—148 |
9. बँगला भाषा पर कमजोर पकड़—28 | 70. बच्चों की शिक्षा—150 |
10. बागवानी का शौक—30 | 71. आई.सी.एस. की लिखित परीक्षा—152 |
11. खेलों के प्रति उदासीनता—32 | 72. आई.सी.एस. का साक्षात्कार—154 |
12. मेरे प्रिय शिक्षक—34 | 73. भाई से पत्र-व्यवहार—156 |
13. मैं या बनूँगा?—36 | 74. आई.सी.एस. पद का त्याग—158 |
14. प्रिय शिक्षक का स्थानांतरण—38 | 75. समझौते से किया इनकार—160 |
15. प्रकृति से मित्रता—40 | 76. लिखित निर्देशों में बदलाव—161 |
16. किशोरावस्था में प्रौढ़ावस्था—42 | 77. पिता से पहले देश—163 |
17. विवेकानंद का साहित्य—44 | 78. गांधीजी से मुलाकात—165 |
18. योग का अभ्यास—46 | 79. देशबंधु से भेंट—167 |
19. एकाग्रता का अभ्यास—48 | 80. सुभाष की जेल-यात्रा—169 |
20. साधुओं से संपर्क—50 | 81. असहयोग आंदोलन का स्थगन—171 |
21. देने की भावना—52 | 82. सुभाष के रचनात्मक कार्य—173 |
22. गरीबों की मदद—53 | 83. सुभाष का नेतृत्व—175 |
23. सुभाष की टोली—55 | 84. स्वराज पार्टी का गठन—177 |
24. टोली की मदद—57 | 85. कुशल प्रशासक सुभाष—179 |
25. क्रांतिकारियों की तसवीरें—59 | 86. मुय कार्यकारी अधिकारी सुभाष—181 |
26. राजनीति की प्रेरणा—61 | 87. पुन: गिरतारी—183 |
27. अन्याय का विरोध—63 | 88. देशबंधु का निधन—185 |
28. भूत का डर—65 | 89. दुर्गापूजा के लिए भूख हड़ताल—187 |
29. लोरी के गीत—67 | 90. बने विधान परिषद् के सदस्य—189 |
30. भयभीत करते सपने—69 | 91. जेल में हुए बीमार—190 |
31. सर्वधर्म समान—71 | 92. साइमन कमीशन का विरोध—192 |
32. भेदभाव का किया विरोध—73 | 93. आपसी मतभेद—194 |
33. मैट्रिक में दूसरा स्थान—75 | 94. दिल्ली घोषणा-पत्र का विरोध—196 |
34. छोटी-छोटी बातें—77 | 95. स्वाधीनता दिवस का आयोजन—198 |
35. कॉलेज में प्रवेश—79 | 96. गांधी-इर्विन समझौता—200 |
36. कॉलेज के ग्रुप—81 | 97. वतन से बाहर—201 |
37. धर्म और राष्ट्र का समन्वय—83 | 98. क्रांति का अध्ययन—203 |
38. ग्रुप की गतिविधियाँ—85 | 99. विदेशों में भारत की तसवीर—205 |
39. बंगाल की जानकारी—87 | 100. पिता की मृत्यु—207 |
40. ग्रुप की योजनाएँ—89 | 101. विवाह बंधन में बँधे सुभाष—209 |
41. राजनीति के संत—91 | 102. स्वदेश वापसी—210 |
42. एक संस्था ऐसी भी—93 | 103. जेल की रिहाई—212 |
43. वह बूढ़ी भिखारिन—95 | 104. सुभाष की रथयात्रा—214 |
44. हैजे का प्रकोप—97 | 105. हरिपुरा में सुभाष का भाषण—216 |
45. भारत की गरीबी की तसवीर—99 | 106. दोबारा अध्यक्ष चुने गए—218 |
46. जातिगत भेदभाव का सामना—101 | 107. फारवर्ड लॉक की स्थापना—220 |
47. कुसुम सरोवर के दिन—103 | 108. फिर हुई गिरतारी—222 |
48. अंग्रेजों के अत्याचार—105 | 109. देश से पलायन—224 |
49. दर्शनशास्त्र से बुद्धिमा का आगाज—107 | 110. जर्मनी में देश के लिए संघर्ष—226 |
50. ओटन ने किया अपमान—109 | 111. पुत्री का जन्म—228 |
51. अपमान का विरोध—112 | 112. स्त्री रेजीमेंट—230 |
52. मरीजों का अंतिम संस्कार—114 | 113. आजाद हिंद फौज की ब्रिगेड—232 |
53. संगठन का निर्माण—116 | 114. आजाद हिंद फौज की काररवाई—234 |
54. अस्पृश्यता की समस्या—118 | 115. आजाद हिंद फौज की पराजय—236 |
55. सामूहिक पूजा का आयोजन—120 | 116. सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु—237 |
56. आत्मविश्लेषण का अभ्यास—122 | 117. मृत्यु एक पहेली—239 |
57. अवचेतन की शति को पहचाना—124 | 118. महान् विभूति सुभाष—241 |
58. मन की नजर—126 | 119. आजाद हिंद फौज—243 |
59. प्रतिबंध हटा—128 | 120. दिल्ली चलो—245 |
60. सैन्य जीवन का प्रशिक्षण—130 |
रेनू सैनी
जन्म : 1 अप्रैल।
शिक्षा : एम.फिल. (हिंदी)।
प्रकाशन : ‘दिशा देती कथाएँ’, ‘बचपन का सफर’, ‘बचपन मुसकाया जब इन्हें सुनाया’, ‘महात्मा गांधी की प्रेरक गाथाएँ’, ‘कलाम को सलाम’, ‘संत कथाएँ मार्ग दिखाएँ’, ‘सक्सेस गीता : सफल जीवन के 125 मंत्र’, ‘डायमंड लाइफ’, ‘जीवन धारा’, ‘मोदी सक्सेस गाथा’, ‘दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरककहानियाँ’, ‘मिशन Impossible’, ‘दिल्ली चलो’, ‘लौहपुरुष सरदार पटेल के प्रेरकप्रसंग’ एवं ‘शास्त्रीजी के प्रेरकप्रसंग ’।
सम्मान : दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी द्वारा चार बार नवोदित लेखन एवं आठ बार आशुलेखन में पुरस्कृत; ‘बचपन का सफर’ पुस्तक को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य वर्ग के अंतर्गत ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पाँचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘वितान’ के अंतर्गत कहानी ‘अद्भुत प्रतिभा’ एवं पाठ्यपुस्तक ‘बातों की फुलवारी’ के अंतर्गत ‘आखरदीप’ कहानी का प्रकाशन। राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से रचनाओं का प्रकाशन व प्रसारण। अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन।
संप्रति : सरकारी सेवा में कार्यरत।
संपर्क : saini.renu830@gmail.com