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'दिल्ली दरबार’ पुस्तक में पिछले चार दशकों की राजनीति का छोटा ब्योरा दिया गया है। यह बताने का प्रयास किया है कि इन सालों में किस तरह से दिल्ली का राजनीतिक भूगोल बदला। इस दौरान किन नेताओं ने किस तरह की भूमिका अदा की। 1982 के एशियाई खेलों के आयोजन के समय दिल्ली में बड़े निर्माण कार्य हुए। भाजपा और कांग्रेस के अनेक नेताओं ने काफी काम करवाए। एच.के.एल. भगत ने यमुना पार को बदला, लेकिन दिल्ली के मूल ढाँचे की बेहतरी के लिए सबसे ज्यादा काम शीला दीक्षित के 15 साल के शासनकाल में हुए। तभी तो 2013 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने कहा था कि लोगों ने काम को महत्व नहीं दिया। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में ऐतिहासिक जीत हासिल की। एक पत्रकार के नाते मनोज कुमार मिश्र ने इस पुस्तक में इन सभी के बारे में अपना नजरिया पेश किया है।
दिल्ली के शासन तंत्र और राजनीति में हुए बदलाव के साथ उनका जिन प्रमुख नेताओं से मिलना-जुलना रहा, इस पुस्तक में उनमें से कुछ के बारे में अपना अनुभव साझा किया है और कई ऐसे राजनीतिक किस्सों को लिखा है, जो पाठकों—खास करके राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पठनीय हैं। संभव है कि इसमें नेताओं के बारे में दी गई जानकारी या उनसे जुड़े कई किस्से कुछ पाठकों को पता हों। श्री मिश्र ने उन सभी को एक साथ बताने का प्रयास किया है