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Author Vinod Kumar Mishra
Features
  • ISBN : 9788192850740
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vinod Kumar Mishra
  • 9788192850740
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 120
  • Hard Cover
  • 264 Grams

Description

संसार के विलुप्‍त प्राणी डायनासोर के बारे में अब तक की गई खोजें दरशाती हैं कि पृथ्वी पर अलग-अलग प्रकार के प्राणियों का आधिपत्य रहा है। प्रकृति के कोप की विभिन्न मुद्राएँ भी सामने आई हैं—उल्काओं का गिरना, समुद्री तल का कभी ऊपर आ जाना तो कभी नीचे चला जाना, भयानक बाढ़, सुनामी आदि। डायनासोर अकेले प्राणी नहीं हैं, जो विलुप्‍त हुए। ऐसे और भी प्राणी होंगे। आगे होनेवाले अनुसंधानों में उनके बारे में भी अद‍्भुतजानकारियों का पिटारा खुलेगा।
डायनासोर पर अनुसंधान अभी चल रहा है। आगे इसमें और रोचक मोड़ आएँगे। अब तक के अनुसंधानों पर आधारित हिंदी में यह सचित्र पुस्तक पाठकों की इससे संबंधित जानकारी में पर्याप्‍त वृद्धि करेगी।
अभी भी डायनासोर के नए-नए जीवाश्म तलाशे जा रहे हैं। उन पर नई-नई मान्यताएँ सामने आ रही हैं। अत: यह कहा जा सकता है कि हिंदी में संभवत: यह इस विषय पर पहली पुस्तक तो है, पर अंतिम नहीं है।
बच्चों ही नहीं, सभी आयु वर्ग के पाठकों में डायनासोर के बारे में जानने की अधिक जिज्ञासा रहती है। आशा है, यह पुस्तक अपने इस उद‍्देश्‍य को अवश्य पूरा करेगी।

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अनुक्रमणिका

आत्मकथन — Pgs. 7

1. जीवाश्म — Pgs. 13

2. भूगर्भ शास्त्र—समय पैमाना — Pgs. 16

3. प्राणियों का बड़े पैमाने पर विलोप ‘क्यों और कैसे’ — Pgs. 22

4. प्राणी विलोप के प्रमुख उदाहरण — Pgs. 28

5. प्राणी व उनके युग — Pgs. 32

6. पहले काल्पनिक डायनासोर — Pgs. 37

7. जॉर्ज कुवियर (1769-1832) — Pgs. 39

8. प्रो. रिचर्ड ओवन — Pgs. 42

9. विश्वव्यापी डायनासोर — Pgs. 45

10. नई तसवीर — Pgs. 47

11. अन्य प्राणियों के साथ संबंध — Pgs. 49

12. नव डार्विनवाद — Pgs. 51

13. उत्पत्ति गाथा — Pgs. 54

14. कैसे थे डायनासोर — Pgs. 56

15. सामान्य विवरण — Pgs. 60

16. आकार — Pgs. 62

17. पैर, सिर, हृदय व फेफडे़ — Pgs. 65

18. परिस्थितियों के आधार पर शरीर — Pgs. 68

19. रक्त ठंडा या गरम — Pgs. 71

20. मस्तिष्क का आकार — Pgs. 75

21. व्यवहार — Pgs. 77

22. बच्चों की देखभाल — Pgs. 79

23. हड्डियों का विश्लेषण — Pgs. 82

24. नर व मादा डायनासोर — Pgs. 84

25. डायनासोर की शारीरिक क्रिया — Pgs. 86

26. वृहदाकार होने का लाभ — Pgs. 88

27. कैसे हुए विश्वव्यापी — Pgs. 90

28. डायनासोर की दृष्टि से — Pgs. 92

29. डायनासोर से पक्षी — Pgs. 94

30. चीन में मिले अनेक पंख युक्त डायनासोर — Pgs. 96

31. पंख क्यों विकसित हुए — Pgs. 98

32. दो वर्ग के डायनासोर — Pgs. 100

33. प्रजनन तंत्र — Pgs. 102

34. कब व कैसे हो गए विलुप्त — Pgs. 103

35. प्रमाणों की खोज — Pgs. 107

36. कुछ तो बचे — Pgs. 111

37. डायनासोर का सांस्कृतिक प्रभाव — Pgs. 112

38. डायनासोर व धार्मिक मान्यताएँ — Pgs. 116

39. भावी अनुसंधान योजना — Pgs. 118

The Author

Vinod Kumar Mishra

जन्म : 12 जनवरी, 1960 को इटावा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : विकलांग होने के बावजूद हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। सन् 1983 में रुड़की विश्‍वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्‍त कर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्‍त हुए। विभिन्न विभागों में काम करते हुए आजकल मुख्य प्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं।
अब तक कुल 32 पुस्तकें तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 300 लेख प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : सन् 1996 में राष्‍ट्रपति पदक, 2001 में ‘हिंदी अकादमी सम्मान’ तथा योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’। सन् 2003 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’, 2004 में राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा ‘सृजनात्मक लेखन पुरस्कार’, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डॉ. मेघनाद साहा पुरस्कार’ तथा महासागर विकास मंत्रालय द्वारा ‘हिंदी लेखन पुरस्कार’।

 

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